भारतीय चुनाव आयोग(ECI) के लिए देश में अगर लोकसभा और विधानसभाओं के लिए एक सात इलेक्शन होते हैं तो नई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें(EVM) खरीदने के लिए हर 15 साल में अनुमानित 10 हजार करोड़ की जरूरत होगी।
सरकार को भेजे गए एक मैसेज में कमीशन ने कहा कि ईवीएम का शेल्फ जीवन 15 साल हैं और यदि एक साथ चुनाव कराए जाते हैं तो मशीनों के एक सेट का यूज उनके जीवन काल में तीन चरणों में चुनाव कराने के लिए किया जा सकता है।
अनुमान के मुताबिक, इस साल लोकसभा चुनाव के लिए पूरे भारत में कुल 11.80 लाख वोटिंग सेंट्र बनाने की जरूरत होगी।एक साथ मतदान के दौरान, प्रति मतदान केंद्र पर ईवीएम के दो सेट की आवश्यकता होगी- एक लोकसभा सीट के लिए और दूसरा विधानसभा क्षेत्र के लिए।
एक ईवीएम के लिए कम से कम एक बीयू(बैलेट यूनिट), एक सीय( कंट्रोल यूनिट) और फिर जा कर एक वीवीपैट मशीन बनती है।
साल 2023 में इतनी आई थी लागत
विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, एक साथ मतदान के लिए आवश्यक न्यूनतम ईवीएम और वीवीपैट होंगे- 46,75,100 बीयू, 33,63,300 सीयू और 36,62,600 वीवीपैट, आयोग ने पिछले साल फरवरी में कानून मंत्रालय को लिखे अपने पत्र में कहा था। 2023 की शुरुआत में, ईवीएम की अस्थायी लागत 7,900 रुपये प्रति बीयू, 9,800 रुपये प्रति सीयू और 16,000 रुपये प्रति यूनिट वीवीपैट थी।
2029 में हो सकता है एक साथ चुनाव
आयोग ने कहा कि नई मशीनों के उत्पादन, स्टोरेज फैसेलिटी बढ़ाने और अन्य लॉजिस्टिक मुद्दों को ध्यान में रखते हुए, पहला एक साथ चुनाव केवल 2029 में हो सकता है। यह भी देखा गया कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एक साथ चुनाव कराने के लिए संविधान के पांच अनुच्छेदों में संशोधन की आवश्यकता होगी।
कितनी लागत?
इन यूनिट्स की लागत के बारे में अभी कोई आधिकारिक अनुमान उपलब्ध नहीं है लेकिन पिछली पर्चेजिंग दरों के हिसाब से एक करोड़ यूनिट के लिए कुल लागत 15,000 करोड़ रुपए से अधिक हो सकती है। इसमें वीवीपैट यूनिट्स के लिए 6,500 करोड़ रुपये से अधिक भी शामिल हैं। आयोग का कहना है कि अगर लोकसभा और विधानसभा चुनावों के साथ स्थानीय निकाय चुनाव भी कराए जाएंगे तो लागत और भी बढ़ सकती है।
कमेटी की बैठक
पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता में एक राष्ट्र, एक चुनाव पर हाई लेवल कमेटी गठित की गई थी. यह कमेटी संविधान और अन्य वैधानिक प्रावधानों के तहत मौजूदा ढांचे के मद्देनजर लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए एक साथ चुनाव कराने की जांच कर रही है। इस कमेटी की बैठक बुधवार (26 अक्टूबर) को भी हुई।
इन बिलों में होगा संशोधन
जिन बिलों में संशोधन की आवश्यकता होगी वे हैं अनुच्छेद 83 जो संसद के सदनों की अवधि से संबंधित है, अनुच्छेद 85 राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा के विघटन से संबंधित है, अनुच्छेद 172 राज्य विधानसभाओं की अवधि से संबंधित है, अनुच्छेद 174 विघटन से संबंधित है राज्य विधानसभाओं और राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने से संबंधित अनुच्छेद 356।
इसमें यह भी कहा गया कि दलबदल के आधार पर अयोग्यता से संबंधित संविधान की दसवीं शैड्यूल में भी जरूरी बदलाव की आवश्यकता होगी।
एक देश, एक चुनाव
सरकार ने देश में एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे की जांच के लिए पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक पैनल का गठन किया है, जिसका नाम बदल दिया गया है। एक राष्ट्र, एक चुनाव पर उच्च स्तरीय समिति को भारत के संविधान और अन्य वैधानिक प्रावधानों के तहत मौजूदा ढांचे को ध्यान में रखते हुए लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए जांच करने और सिफारिश करने का काम सौंपा गया है।