इस साल दिवाली से पहले ही दिल्ली-एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु की गुणवत्ता बेहद खराब हो गई है। जहरीली हवा और चारों तरफ धुंध के कारण लोगों का घरों से बाहर निकालना मुश्किल हो गया है। लगातार बढ़ते प्रदूषण के कारण लोगों को कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। प्रदूषित हवा से बुजुर्गों और बच्चों को अधिक नुकसान पहुंचता है। दुषित हवा बच्चों के स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है। हवा में पाए जाने वाले हानिकारक कण और जहरीली गैसें बच्चों के स्वस्थ पर बहुत बुरा असर डालते हैं। हवा में नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसें और कण बढ़ते जा रहे हैं। ये वायु प्रदूषक बच्चों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालते हैं। लगातार प्रदूषित हवा में सांस लेने के कारण बच्चों की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है, जिससे वे कई तरह की बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में, बच्चों में सर्दी-जुकाम, अस्थमा, निमोनिया, ब्रोंकाइटिस और दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है।
सांस से जुड़ी समस्याएं
हवा में मौजूद पीएम 2।5, पीएम 10 और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड श्वास प्रणाली पर बहुत बुरा असर डालते हैं। इससे बच्चों में अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, लंग इन्फेक्शन और सांस संबंधी समस्याओं का खतरा काफी बढ़ जाता है।
फेफड़ों की समस्याएं
दूषित हवा में मौजूद विषाक्त पदार्थ बच्चों के फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा हैं। प्रदूषण फेफड़ों की कार्यक्षमता को कम करता है और ऑक्सीजन के स्तर को घटाता है। इसके अलावा, प्रदूषित हवा में मौजूद कण फेफड़ों में सूजन पैदा करते हैं जिससे सांस लेने में परेशानी होती है। दूषित हवा के कारण अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी फेफड़ों से संबंधित बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है। इस प्रकार प्रदूषण फेफड़ों को कमजोर करता है और बच्चों को अन्य बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील बना देता है। यही कारण है कि प्रदूषित हवा बच्चों के फेफड़ों के लिए बेहद हानिकारक है।
बच्चों में निमोनिया का कारण
दूषित हवा में मौजूद जहरीले कण और गैसें बच्चों में निमोनिया जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनती हैं। दूषित हवा में साँस लेने से बच्चों के फेफड़े कमजोर हो जाते हैं और वे आसानी से निमोनिया जैसी खतरनाक बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। इसलिए, प्रदूषण निमोनिया जैसी बीमारियों का कारण बनता है।
बच्चों के विकास में बाधा
बढ़ते प्रदूषण की वजह से हवा में नाइट्रोजन, सल्फर जैसी विषाक्त गैसों का स्तर बहुत अधिक हो गया है। जब बच्चे इस प्रदूषित हवा को सांस के जरिए अपने शरीर में लेते हैं, तो इसका सीधा असर उनके स्वास्थ्य और विकास पर पड़ता है। गैसें बच्चों के दिमाग तक पहुंचकर उनके मानसिक और बौद्धिक विकास को धीमा कर देती हैं। साथ ही, शारीरिक विकास भी प्रभावित होता है।
बच्चों को प्रदूषण से बचाने के उपाय
- बच्चों को बाहर भेजते समय मुंह पर मास्क लगाकर भेजें।
- प्रदूषण के दुष्प्रभाव से बचाने के लिए बच्चों को रोज भाप जरूर दें।
- घर के अंदर की हवा को साफ रखने के ले एयर प्यूरीफायर या सही वेंटिलेशन का सहारा लें।
- ज्यादा वायु प्रदूषण के समय बच्चों को घर से बाहर न निकालें।
- बच्चों को नियमित रूप से योगा कराएं, जिससे उनके लंग्स मजबूत और हेल्दी रहें।