दिल्ली-एनसीआर में पॉल्यूशन रिकॉर्ड तोड़ रहा है। इसका असर एनसीआर से दूर शहरों में भी महसूस हो रहा है। बता दें कि सर्दियों की शुरुआत में हवा के बहाव में कमी आने से धूल के कण ऊपर नहीं उठ पाते। इससे धूल और कोहरे की मोटी परत (smog) वायुमंडल में छाई रहती है। इस बार भी सर्दियों के आगमन के साथ ही स्मॉग की शुरुआत भी हो गई है। हवा में घुले इस जहर के कारण लोगों को बाहर न निकलने और घर से बाहर कम से कम एक्टिविटीज करने की सलाह दी जा रही है। हेल्थ एक्सपर्ट लगातार लोगों से सुबह और शाम पार्क में टहलने, दौड़ने या एक्सरसाइज करने के लिए भी मना कर रहे हैं। लेकिन बहुत सारे लोग हैं जो प्रदूषित हवा के बावजूद सुबह-शाम पार्क में टहलने के लिए जाते हैं और एक्सरसाइज करते हैं। उनका कहना है कि उन्हें रोजाना सैर करने की आदत है। मगर कही ये आदत आपको फायदे के बजाय गंभीर नुकसान ना पहुंचा दें।
दरअसल पॉल्यूशन में वॉक करने से आपके शरीर में कई ऐसे तत्व प्रवेश कर सकते हैं जो आपको लंबे समय तक परेशान कर सकते हैं। कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
बढ़ रहा है प्रदूषण
दिल्ली में दिवाली के बाद बढ़ा वायु प्रदूषण देश के कई और हिस्सों में भी तेजी से फैल रहा है। ऐसे माहौल में सुबह की हवा ताजी होने की जगह स्मॉग से भरी हुई है जो हेल्थ के लिए बहुत ज्यादा नुकसानदेह है। अगर आप भी मॉर्निंग वॉक पर जाने के आदी हैं तो जरा ध्यान दें और घर पर रहने की समझदारी दिखाएं। पिछले कुछ दिनों से दिल्ली और एनसीआर में स्मॉग का कहर बरपा हुआ है। पूरा शहर धुंआ-धुंआ हो गया है। यह धुंआ दिवाली के बाद बढ़ा हुआ प्रदूषण है जो हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। इसी के साथ ही नाक, गले और आंखों की एलर्जी होने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं।
पॉल्यूशन में सैर करने के नुकसान -
लंग टिश्यू में हो सकती है सूजन
वॉक करने के दौरान व्यक्ति गहरी सांस लेता है और ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन को फेफड़ों में लेता है। हालांकि अगर वातावरण में प्रदूषण है और जहरीली गैसें हैं तो सांस के साथ ये सभी चीजें फेफड़ों में पहुंचती हैं और वहां जम जाती हैं। इसके कारण कई प्रकार की लंग संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। पॉल्यूशन में वॉक करने से लंग टिश्यू में सूजन आ सकती है या फिर इरीटेशन की शिकायत भी हो सकती है। लिहाजा इस मौसम में प्रेग्नेंट, बच्चे और बुजुर्गों को खासतौर पर वॉक नहीं करनी चाहिए।
हार्ट, लंग्स और नर्व संबंधी दिक्कतें
प्रदूषण के कारण वायुमंडल में अन्य हानिकारक गैसों की अधिकता हो जाती है और ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। ऐसे में जब सांस ली जाती है तो शरीर में कम मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचती है। ऐसे में ज्यादा मेहनत करने, वॉक करने के बाद भी शरीर में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंचता, जबकि शरीर के अंग कसरत ज्यादा करते हैं। इसकी वजह से हार्ट, लंग्स और नर्व संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं, हार्ट अटैक या स्ट्रोक आदि हो सकता है।
सांस फूलने, छींक आने की दिक्कतें
खराब हवा में जहरीली गैसें और कई तरह के टॉक्सिंस, धुआं और पार्टिकुलेट मैटर की मात्रा ज्यादा होती है। वहीं ओजोन गैस भी बढ़ जाती है जिसकी वजह से सांस खींचने पर अस्थमा का अटैक आ सकता है। स्वस्थ लोगों को भी दमा के पैनिक अटैक आ सकते हैं। इसलिए इस मौसम में अस्थमा के मरीज तो खास ध्यान रखें ही, सामान्य लोग भी सावधानी बरतें क्योंकि उन्हें सांस फूलने, छींक आने की दिक्कतें हो सकती हैं.
आंखों में जलन, सूजन, पलकों में खुजली
खराब एयर क्वालिटी में वॉक का असर आंखों पर भी पड़ता है। प्रदूषण के सीधे संपर्क में आने पर आंखों के मुलायम हिस्सों को नुकसान हो सकता है। इससे आंखों में जलन, सूजन, पलकों में खुजली, आंख में खुजली, आंखों का लाल होना, आंखों से पानी आना आदि शामिल है। लंबे समय तक आंखों में परेशानी होने पर विजन पर भी असर पड़ सकता है।
फेफड़ों के कैंसर का रिस्क बढ़ता हैं
एयर पॉल्यूशन में संक्रमण फैलने का रिस्क बहुत ज्यादा होता है। किसी को पहले से कोई इन्फेक्शन है तो वह बढ़ सकता है। इसके अलावा प्रदूषण में इन्फेक्शन वाली खांसी सबसे ज्यादा खराब होती है। यह कई-कई हफ्तों तक ठीक नहीं होती। इसके अलावा प्रदूषण की वजह से फेफड़ों के कैंसर का रिस्क भी बढ़ जाता है।
सुबह की सैर की जगह घर में ही करें वर्कआउट
वॉक पर जाने की जगह घर पर ही योगा और वर्कआउट करना आपकी हेल्थ के लिए फायदेमंद रहेगा। योगा के कुछ आसन आपको नॉजल ब्लॉक और लंग्स के इंफेक्शन से बचाव करने में हेल्प करेंगे। योग और एक्सरसाइज आपकी इम्यून सिस्टम को मजबूत करने का भी काम करेगा।