नौकरी में आरक्षण खत्म करने की मांग कर रहे बांग्लादेश के छात्रों का आंदोलन हिंसक हो गया है। हिंसा से हालात और भी बेकाबू हो गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इसमें 105 लोगों कि मौत हो गई है। इस पर काबू पाने के लिए सरकार ने पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया है। वहीं शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार ने कानून व्यवस्था की चिंताजनक स्थिति को नियंत्रित करने के लिए जगह-जगह सेना तैनात करने का आदेश दिया है।
आरक्षण के खिलाफ हिंसा में अब तक 105 की मौत
लाठी, डंडे और पत्थर लेकर सड़कों पर घूम रहे प्रदर्शनकारी छात्रों ने निजी वाहनों और बसों मे आग फूंक दिया है। अब तक 2500 से ज्यादा प्रदर्शनकारी जख्मी हो गए हैं, और 105 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। देश में तत्काल प्रभाव से इंटरनेट सर्विस भी बंद कर दी गई है।
जाने हिंसा भड़कने का कारण
हिंसा भड़कने का मुख्य कारण है- नौकरी में आरक्षण। छात्र आरक्षण पर रोक लगाना चाहते हैं। दरअसल, बांग्लादेश सरकार ने पब्लिक सेक्टर की 30 प्रतिशत नौकरियां उन लोगों के लिए आरक्षित (Reserved) किया है, जिनके परिवार ने 1971 में पाकिस्तान से स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी थी। प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि सरकार की यह व्यवस्था भेदभाव बढ़ाती है। इसी के खिलाफ लोगों का गुस्सा फुट पड़ा है।
प्रधानमंत्री शेख हसीना ने की शांति की अपील
सुप्रीम कोर्ट 7 अगस्त को मामले में सुनवाई करेगी। वहीं हिंसा बढ़ती देख प्रधानमंत्री शेख हसीना ने शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए अपील की है। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से वादा किया कि उनकी समस्या को सुलझाने के लिए वे काम करेंगी।
405 भारतीय स्टूडेंट्स घर लौटे
वहीं बांग्लादेश में बढ़ते तनाव के बीच अब तक 405 भारतीय स्टूडेंट्स अपने घर लौट आए हैं। मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने शुक्रवार को बताया कि भारतीय स्टूडेंट्स को डॉकी इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट के जरिए बांग्लादेश से निकाला गया है। उनमें से लगभग 80 मेघालय से हैं और बाकी अन्य राज्यों से हैं।
कैदियों को जेल से छुड़ाने के बाद जेल में लगाई आग
न्यूज एजेंसी AFP की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदर्शनकारी छात्रों ने शुक्रवार को नरसिंगडी जिले में एक जेल पर धावा बोल दिया था। इसके साथ ही उन्होंने सैकड़ों कैदियों को जेल से छुड़ाने के बाद वहां आग लगा दी थी।