अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जो सीधा फफड़ों को प्रभावित करती है। इस बीमारी में श्वासनली में सूजन होने या वह सिकुड़ने लगती है। इसके अलावा इससे म्यूकस बनने की मात्रा काफी बढ़ जाती है। जिस वजह से व्यक्ति को सांस लेने काफी मुश्किल होता है। अस्थमा अटैक से कई बार व्यक्ति की जान भी जा सकती है।
दुनियाभर में कई लोग इस बीमारी से पीड़ित है। डबल्यूएचओ के मुताबिक 2019 में वैश्विक स्तर पर 26.2 करोड़ लोग अस्थमा से पीड़ित थे। हालांकि इस बीमारी का अभी तक कोई इलाज नहीं हैं। लेकिन हाल ही में की गई स्टडी से पता चला है कि अब अस्थमा के मरीजों का इलाज करना संभव है। आइए जानते हैं इस बीमारी को लेकर स्टडी में क्या पाया गया है।
क्या है यह रिसर्च
हाल ही में आस्ट्रेलियाई रिसर्चरने अस्थमा के गंभीर मामलों के इलाज में एक सफलता हासिल की है। साथ ही बताया है कि अस्थमा की बीमारी के इलाज और उसे पूरी तरह से कंट्रोल करने के लिए एक ही दवा काफी है।
जी हां ट्रैबिकिहार्ट नामक एक मानव चिकित्सीय एंटीबॉडी रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट की सूजन और घावों को प्रभावी ढंग से रोकने में एक कुंजी (चाबी) काम कर सकता है। इस स्टडी के आंकड़ों के मुताबिक आस्ट्रेलिया में 2022 में अस्थमा के कारण 467 लोगों की जान गई, जब कि 2021 में 355 मौतों से अधिक है।
इस स्टडी में क्या पाया गया
यूनिएसए में एलर्जी एवं कैंसर इम्यूनोलाजी लेबोरेटरी के हेड व स्टडी के संयुक्त लेखक डैमन ट्यूम्स बताते हैं कि वर्तमान में अस्थमा का उपचार उपलब्ध है। दरअसल वे सिंगल मॉल्योल को टारगेट करते हैं जबकि कई कोशिकाएं और रास्ते अस्थमा के लिए जिम्मेदार होते हैं।
ट्यूम्स ये भी बताते हैं कि गंभीर अस्थमा में कई तरह की इम्यून सेल्स की वजह से सूजन और टीशू डैमेज होती है। जो एलर्जी, वायरस और श्वसन मार्ग से संपर्क करने वाले अन्य सूक्ष्म जीवों के कारण फेफड़ों के अंदर जाती हैं।
क्या हैं अस्थमा के लक्षण
छाती में जकड़न व दबाव महसूस होना
रात में खांसी की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ जाना
सांस लेने में तकलीफ होना
बहुत ज्यादा घबराहट होना