This time Maa Durga rides horse in Navratri : मां दुर्गा की पूजा का उत्सव चैत्र नवरात्रि आने वाला है, इसकी पूजा का भी महत्व शारदीय नवरात्रि के ही समान है। मान्यता है कि माता हर नवरात्रि में किसी न किसी वाहन से धरती पर आती हैं और नवरात्रि में भक्तों के साथ रहकर उनका पूजा स्वीकार करती हैं। इसलिए नवरात्रि में दुर्गा किस वाहन पर सवारी करती हैं, यह सवाल लोगों के मन में रहता है। पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा मंगलवार को पड़ रही है। इसलिए चैत्र नवरात्रि 2024 के लिए माता दुर्गा की सवारी घोड़ा होगा। ज्योतिषियों के अनुसार मां दुर्गा का घोड़े पर सवार होकर आने का अर्थ है कि भविष्य में प्राकृतिक आपदा आ सकती है। आइये जानते हैं क्या होता है नवराते में मां की सवारी घोड़ा का महत्व
घोड़े की सवारी का संकेत
वाराणसी के पुरोहित पं. शिवम तिवारी के अनुसार चैत्र नवरात्रि 2024 में मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर धरती पर आएंगी। इसका समाज के लिए विशेष संकेत होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि नवरात्रि में माता रानी घोड़े पर सवार होकर धरती पर आती हैं तो समाज के लिए यह शुभ संकेत नहीं है। इसका संकेत होता है कि आने वाले समय में सत्ता में बड़ा बदलाव होने वाला है, इसके साथ ही यह युद्ध के हालात बनने का भी संकेत देता है। हालांकि साधकों को जीवन में आ रहे संकटों से भी छुटकारा दिलाता है यानि भक्तों के जीवन में यह समय बड़ा बदलाव ला सकता है।
हर साल चार नवरात्रि
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार हर साल चार बार माता दुर्गा की पूजा का उत्सव नवरात्रि आता है। इसमें से दो बार की नवरात्रि शारदीय और चैत्र नवरात्रि को प्रत्यक्ष तो दो बार की नवरात्रि माघ और आषाढ़ की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं। प्रत्यक्ष नवरात्रि शारदीय और चैत्र नवरात्रि में मुख्य रूप से गृहस्थ पूजा अर्चना करते हैं और इस समय माता दुर्गा के नौ स्वरूप पूजे जाते हैं, जबकि गुप्त नवरात्रि में प्रायः तंत्र साधना की जाती है और माता दुर्गा की दस महाविद्या की पूजा की जाती है। मान्यता है इस समय गुप्त रूप से साधना की जाती है और प्रायः साधु संन्यासी, शाक्त संप्रदाय के लोग इस समय महाविद्या की पूजा करते हैं।
कब है पूजा का मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि की शुरुआत चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। साल 2024 में यह तिथि मंगलवार 9 अप्रैल 2024 को पड़ रही है। इसी दिन घट स्थापना होगी और मां दुर्गा की 9 दिवसीय पूजा शुरू होगी। इस साल घटस्थापना मुहूर्त की अवधि 4 घंटे 11 मिनट की है और सुबह 6.05 बजे से 10.16 बजे के बीच कलश स्थापना की जा सकेगी। वैसे मां दुर्गा पूजा की कलश स्थापना का सबसे शुभ मुहूर्त अभिजित मुहूर्त माना जाता है और चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन मंगलवार को अभिजित मुहूर्त सुबह 11.57 बजे से दोपहर 12.47 बजे तक है। बता दें कि इस साल कलश स्थापना निषिद्ध वैधृति योग में होगी।
विधिवत पूजा अर्चना
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि प्रारंभः 08 अप्रैल 2024 को रात 11:50 बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्तः 09 अप्रैल 2024 को रात 08:30 बजे (उदयातिथि में प्रतिपदा इस समय होने से 9 अप्रैल से नवरात्रि)
वैधृति योग प्रारंभः 08 अप्रैल 2024 को शाम 06:14 बजे से
वैधृति योग समाप्तः 09 अप्रैल 2024 को दोपहर 02:18 बजे (वैधृति योग में कलश स्थापना अच्छा नहीं माना जाता है, लेकिन इसमें कलश स्थापना को निषिद्ध भी नहीं किया गया है।)
नवरात्रि के नौ दिन इनकी होगी पूजा
प्रथम दिनः मंगलवार को मां शैलपुत्री की पूजा
दूसरा दिनः बुधवार को माता ब्रह्मचारिणी की पूजा।
तीसरा दिनः बृहस्पतिवार को माता चंद्रघंटा की पूजा।
चौथा दिनः शुक्रवार को मां कूष्मांडा की पूजा।
पांचवा दिनः शनिवार को माता स्कंदमाता की पूजा।
छठा दिनः रविवार को माता कात्यायनी की पूजा।
सातवां दिनः सोमवार माता कालरात्रि की पूजा।
आठवां दिनः मंगलवार को मां महागौरी की पूजा।
नवां दिनः बुधवार को माता सिद्धिदात्री की पूजा।