Chaitra Navratri inauspicious combination is being created : चैत्र नवरात्रि की शुरुआत मंगलवार 9 अप्रैल 2024 से हो रही है। मां दुर्गा की पूजा का उत्सव नवरात्रि अप्रैल में चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से शुरू होगा। इस चैत्र नवरात्रि में भी शारदीय नवरात्रि की तरह ही पूजा अनुष्ठान होते हैं। जिसके लिए पहले दिन शुभ समय में माता का आवाहन (निमंत्रण देना) किया जाता है। लेकिन चैत्र नवरात्रि 2024 में माता ऐसे योग में धरती पर आ रहीं हैं जिसमें भूलकर भी ये काम नहीं करने चाहिए।
वैधृति योग में कौन से काम नहीं करना
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 27 योग में से कुल 9 योग अशुभ होते हैं, इन योगों में शुभ काम करने से बचना चाहिए। ये 9 अशुभ योग विष्कुम्भ, अतिगण्ड, शूल, गण्ड, व्याघात, वज्र, व्यतिपात, परिध और वैधृति हैं। मान्यता है वैधृति योग स्थिर कार्यों के लिए ठीक है, लेकिन यदि कोई भाग-दौड़ वाला कार्य या यात्रा आदि करने की सोच रहे हैं तो वैधृति योग में इसकी शुरुआत नहीं करनी चाहिए।
कब धरती पर आ रहीं हैं मातारानी
पंचांग के अनुसार इसी दिन मां दुर्गा का घटस्थापना (कलश स्थापना) और मां शैलपुत्री की पूजा होगी। इसी के साथ मां दुर्गा की 9 दिवसीय पूजा शुरू हो जाएगी। इसके लिए कलश स्थापना का सामान्य मुहूर्त सुबह 6.05 से 10.16 बजे तक (4 घंटे 11 मिनट) है वहीं चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना का बेस्ट अभिजित मुहूर्त सुबह 11.57 बजे से दोपहर 12.47 बजे तक यानी 50 मिनट है।
कलश स्थापना के समय वैधृति योग
साल 2024 में कलश स्थापना के समय वैधृति योग भी रहेगा। आमतौर पर इस योग में कलश स्थापना से बचते हैं, हालांकि शास्त्रों ने इस योग में कलश स्थापना पर रोक नहीं लगाई है। दरअसल, पंचांग के अनुसार सोमवार 8 अप्रैल को शाम 6.14 बजे से वैधृति योग बन रहा है और यह 9 अप्रैल दोपहर 2.18 बजे तक रहेगा और नवरात्रि कलश स्थापना मध्याह्न से पहले हो जाना चाहिए। वाराणसी के पुरोहित पं शिवम तिवारी के अनुसार इसलिए वैधृति योग में ही चैत्र नवरात्रि की कलश स्थापना होगी।
शास्त्रों में कलश स्थापना का महत्व
शास्त्रों में नवरात्रि के आरंभ में घटस्थापना के स्पष्ट नियम बनाए गए हैं, क्योंकि यह देवी शक्ति का आवाहन है। माना जाता है कि इसी के बाद अन्य देवी-देवता की भी पूजा की जाती है। यह भी मान्यता है कि अशुभ या अनुचित समय पर घटस्थापना करने से देवी शक्ति का प्रकोप हो सकता है और आशीर्वाद नहीं मिलता है। इसीलिए अमावस्या, मध्यकाल या रात्रिकाल में घटस्थापना करना वर्जित किया गया है। साथ ही चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग में भी कलश स्थापना न करने की सलाह दी गई है।