इन दिनों अधिकांश लोगों ने स्मोकिंग करने की आदत को स्टेट्स सिंबल ही बना लिया है। अब नौजवान भी बड़े शोक से स्मोकिंग करते हैं। वैसे तो स्मोकिंग से होने वाले नुकसान के बारे में सभी जानते हैं। लेकिन अगर आपको लगता है कि स्मोकिंग करने से सिर्फ कैंसर, हार्ट और फेफड़े को नुकसान पहुंचता है तो आप बिल्कुल गलत हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि स्मोकिंग करने से आपकी आंखों को भी नुकसान पहुंच सकता है। लंबे समय तक स्मोकिंग करने की आदत आपकी आँखों की रोशनी छिन सकती है। ऐसे में आपको यह पता होना बहुत जरूरी है कि स्मोकिंग करने से आपकी आंखों को किस का नुकसान हो सकता है। आइए जानते हैं स्मोकिंग करने से आंखों पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभाव के बारे में
मैक्यूलर डिजनरेशन की बीमारी
अगर आप बहुत ज्यादा धूम्रपान करते हैं तो इससे आप में मैक्यूलर डिजनरेशन का खतरा काफी बढ़ जाता है। बढ़ती उम्र से जुड़ी मैक्यूलर डिजनरेशन (एएमडी) नाम की समस्या रेटिना से संबंधित एक बीमारी है।
जब आप बहुत ज्यादा स्मोकिंग करते है तो इससे आंखों की मैक्युला में काफी तेजी से परिवर्तन होता है। जिससे इस बीमारी के होना का खतरा बढ़ जाता है। दरअसल मैक्युला रेटिना का एक छोटा हिस्सा होता है और यह आंख की बिल्कुल अंदरूनी परत पर मौजूद रहता है।
यह बीमारी धीरे-धीरे विजन को खराब कर देती है, जिससे व्यक्ति की पढ़ने, गाड़ी चलाने और चेहरे पहचानने की क्षमता कम होने लगती है।
सेकंड-हैंड स्मोक का शिकार होना
स्मोकिंग करने से न केवल आपके खुद के हेल्थ का नुकसान होता है बल्कि आपके आसपास के लोगों का हेल्थ भी प्रभावित होता है। जब आप स्मोकिंग कर रहे होते हैं तो उससे आपके आसपास मौजूद लोग भी सेकंड-हैंड स्मोकिंग के शिकार होते हैं।
इस कंडीशन में खासतौर पर बच्चे काफी ज्यादा प्रभावित होते है। दरअसल बच्चे काफी संवेदनशील होते है जब वो सेकंड हैंड धुएं के संपर्क में आते हैं तो उनमें मायोपिया जैसी समस्याओं का खतरा काफी बढ़ जाता है।
वहीं इस धुएं में सांस लेने से सिर्फ सेहत ही नहीं, आंखों से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं। इसमें ड्राई आई सिंड्रोम से लेकर ऑप्टिक नर्व डैमेज जैसी गंभीर बीमारियां शामिल होती हैं।
डायबिटीज में स्मोकिंग करने से जा सकती है रोशनी
डायबिटीज वाले व्यक्तियों को भूलकर भी स्मोकिंग नहीं करना चाहिए। क्योंकि उनकी यह आदत उनकी विजन लॉस होने की संभावना बढ़ा सकती है। ऐसे में डायबिटीज के पेशेंट स्मोकिंग की आदत को छोड़ कर अपनी स्थिति को बेहतर ढंग से कंट्रोल कर सकते हैं। साथ ही आंखों से जुड़ी समस्याओं के जोखिम को कम कर सकते हैं।
मोतियाबिंद की प्रॉब्लम होना
धूम्रपान न करने वाले व्यक्ति की तुलना में धूम्रपान करने वाले व्यक्ति में मोतियाबिंद विकसित होने की संभावना दो से तीन गुना ज्यादा होती है। यह एक ऐसी कंडीशन है जिसमें आंखों की नेचुरल लेंस में धुंधलापन आ जाता है।
यह बीमारी न केवल आपकी विजन को धुंधला करता है बल्कि विपरीत संवेदनशीलता को भी कम कर देता है जिससे कम रोशनी की स्थिति में वस्तुओं को पहचानना काफी मुश्किल हो जाता है।