खबरिस्तान नेटवर्क: पंजाब सरकार के द्वारा लगातार भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए सख्त एक्शन लिए जा रहे हैं। ऐसे में अब तहसीलदार और नायब तहसीलदारों को लेकर भी मुद्दा काफी गरमा गया है। इसको लेकर सरकार के द्वारा बड़े स्तर पर तहसीलदार और नायब तहसीलदारों के तबादले भी कर दिए गए थे। इस दौरान लोगों के कामकाज को ध्यान में रखते हुए सरकार ने अधिकारियों को जल्द से जल्द पेंडिंग कामों को निपटाने के निर्देश भी जारी किए थे। ऐसे में आज इसी कड़ी में सरकार के द्वारा तहसीलदाल और नायब तहसीलदारों के खिलाफ सरकार ने सख्त एक्शन लिया है। इसकी लिस्ट भी जारी की गई है।
ये है सस्पेंड किए गए अधिकारियों के नाम
6 तसहीलदारों और 8 नायब तहसीलदारों सहित कुल 14 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है। पंजाब सरकार ने इस संबध में तत्काल प्रभाव से ही इन अधिकारियों को निलंबित करने के आदेश दे दिए हैं। जिन अधिकारियों को सरकार के द्वारा सस्पेंड किया गया है उनके नाम हैं गुरमुख सिंह तहसीलदार बाघापुराना (मोगा), भीम सेन नायब तहसीलदार (बाघापुराना) मोगा, अमरप्रीत सिंह नायब तहसीलदार समालसर (मोगा), रमेश ढींगरा नायब तहसीलदार (धर्मकोट) मोगा, हामिश कुमार नायब तहसीलदार बदनीकला (मोगा), सुखविंदर सिंह नायब तहसीलदार (मोगा), राजिंदर सिंह तहसीलदार (फिरोजपुर), जगतार सिंह नायब तहसीलदार (फिरोजपुर) जतिंदर पाल सिंह तहसीलदार (श्री मुक्तसर साहिब), रंजित सिंह खैहरा नायब तहसीलदार (श्री मुक्तसर साहिब), अमृता अग्रवाल नायब तहसीलदार (श्री मुक्तसर साहिब), बलविंदर सिंह नायब तहसीलदार (श्री मुक्तसर साहिब) शामिल है।

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इसी साल मार्च महीने में पंजाब में विजिलेंस ब्यूरो की कार्रवाई के खिलाफ तहसीलदार सामूहिक छुट्टी पर चले गए थे। सीएम ने तहसीलदारों को चेतावनी दी थी कि 5 बजे तक वापस लौटें, अन्यथा निलंबित कर दिया जाएगा। कई जिलों में तहसीलदार वापस लौट आए, लेकिन कुछ ने काम नहीं किया। इसके बाद 14 तहसीलदार सरकार ने सस्पेंड कर दिए थे। सरकार का कहना है कि यह मुलाजिम सेल्स डीड रजिस्टर से मना कर रहे थे।
सीएम ने अपने आदेश में कहा था कि यदि कोई अधिकारी अपनी ड्यूटी पर नहीं लौटता है और दस्तावेजों के पंजीकरण की जिम्मेदारी नहीं निभाता है, तो उसे निलंबित कर दिया जाएगा। सरकार ने कहा कि हड़ताल और सामूहिक अवकाश का निर्णय जबरदस्ती और ब्लैकमेलिंग के समान है, जिसे किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हालांकि समय अवधि पूरी होने से पहले ही कई जिलों में अधिकारी लौटना शुरू हो गए हैं। इन जिलों में मोहाली, संगरूर और मोगा आदि में अधिकारी आए है।तहसीलदारों का आरोप था कि विजिलेंस जानबूझकर निशाना बना रही है।
मान ने एक्स को पोस्ट करते हुए कहा कि तहसीलदार अपने "भ्रष्ट सहकर्मियों" के पक्ष में विरोध कर रहे हैं, लेकिन "हमारी सरकार रिश्वत लेने के खिलाफ है..."। उन्होंने कहा कि अन्य अधिकारियों को अतिरिक्त जिम्मेदारियाँ सौंपी जा रही हैं, ताकि सरकारी काम न रुके और आम जनता को परेशानी न हो। उन्होंने लिखा, "तहसीलदार अपनी सामूहिक आकस्मिक छुट्टी का आनंद ले सकते हैं। लेकिन जनता तय करेगी कि इन तहसीलदारों को वापस आने के बाद कहाँ नियुक्त किया जाएगा।"
मुख्यमंत्री हाल ही में अन्य मुद्दों पर भी सख्त रुख अपना रहे हैं। जनवरी 2023 में मान ने पंजाब सिविल सेवा के अधिकारियों के खिलाफ़ भी ऐसा ही रुख़ अपनाया था, जिसमें सामूहिक आकस्मिक छुट्टी पर गए अधिकारियों को काम पर लौटने या परिणाम भुगतने की चेतावनी दी गई थी। एक आदेश में मुख्यमंत्री ने कहा था कि उनकी हड़ताल को अवैध घोषित किया जाना चाहिए।
मुख्य सचिव को भेजे अपने आदेश में मान ने तब कहा था, "मेरे संज्ञान में लाया गया है कि कुछ अधिकारी हड़ताल की आड़ में ड्यूटी पर नहीं आ रहे हैं। वे भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सरकार द्वारा की गई कड़ी कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं।"
अगस्त 2023 में, सरकार ने राजस्व अधिकारियों और डिप्टी कमिश्नर कार्यालयों के कर्मचारियों द्वारा कलम बंद हड़ताल के आह्वान के मद्देनजर पूर्वी पंजाब आवश्यक सेवा (रखरखाव) अधिनियम (एस्मा) लागू किया था।