किसानों के पराली जलाने के कारण दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ गया है। इसे देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(NGT) ने पंजाब सरकार और केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को नोटिस जारी किया है। मामले की सुनवाई 8 नवंबर को होगी।
NGT ने रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब में पराली जलाना दिल्ली-NCR में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है। PPCB अधिकारियों हॉटस्पॉट जिलों के भीतर सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों की पहचान करने की जरूरत है।
15 सितंबर से 30 नवंबर तक जलती हैं पराली
NGT पीठ का कहना था कि जिस अवधि में पराली जलाई जाती है, वह मुख्य रूप से 15 सितंबर से 30 नवंबर के बीच का समय है। इसलिए, इस अवधि के दौरान, संबंधित अधिकारियों को उल्लंघनकर्ताओं की पहचान करने और जुर्माना लगाने सहित सुधारात्मक उपाय अपनाते हुए सतर्क रहने की आवश्यकता होती है।
संगरुर का रिकॉर्ड सबसे खराब
रिपोर्ट के मुताबिक संगरूर पराली जलाने के मामलों में सबसे आगे रहा है। यहां 2020 में 9,705, 2021 में 8,006 और 2022 में 5,239 खेत में आग लगने की घटनाएं दर्ज की गईं। जबकि, मोगा में 2020 में 5,843, 2021 में 6,515 और 2022 में 3,609 खेत में आग लगी। वहीं फिरोजपुर में 2020 में 6,947, 2021 में 6,288 और 2022 में 4,295 घटनाएं हो चुकी हैं।