जालंधर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट में भ्रष्टाचार के 7 और मामले सामने आए हैं। इसका खुलासा इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के चेयरमैन और आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता प्रोफेसर जगतार सिंह संघेड़ा किया है। जिनमें करोड़ों रुपए के प्लॉटों की रिश्वत लेकर बिक्री की गई है। संघेड़ा ने बताया कि इन मामलों में डाक्यूमेंट्स चोरी होने के कारण जांच रुकी हुई थी और रेवेन्यू अधिकारियों से रजिस्ट्रियों की कॉपियां और अन्य डॉक्यूमेंट्स मिलने से यह स्पष्ट हुआ है कि घटाला हुआ है। बता दें कि इस मामले में पूर्व चेयरमैन और ट्रस्ट के कर्मचारी अनिल कुमार का नाम सामने आ रहा है।
इन पर होगा मामला दर्ज
संघेड़ा ने कहा कि पहले ही 2 केसों में एक कार्यरत अधिकारी, दो ट्रस्ट कर्मचारियों समेत कई अन्य प्राइवेट व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा। उन्होंने कहा कि उचित जांच के बाद ही संदिग्ध के खिलाफ एफआईआर होगी।
संघेड़ा ने कहा कि इसके बाद जांच रिपोर्ट और साक्ष्य दस्तावेजों (Evidence Documents) की 28 कॉपियों एडिशनल प्रिंसिपल सेक्रेटरी और निदेशक स्थानीय निकाय (Director Local) को भी भेजी गई हैं। इन दोनों मामलों में, जांच की गई क्योंकि यह एक अदालती मामला था और जांच का रिकॉर्ड एफआईआर की कॉपियों के साथ अगली तारीख पर अदालत में जमा किया जाएगा।
धोखाधड़ी का एक और मामला
एक अन्य अदालती मामले के दौरान धोखाधड़ी का एक नया मामला भी सामने आया है जिसकी अभी भी जांच चल रही है।
लोग आरोपियों का कर रहे समर्थन
संघेड़ा ने कहा कि हाल ही में जालंधर ट्रस्ट में हुए करोड़ों रुपये के घोटाले में शामिल लोग आरोपियों का समर्थन कर रहे हैं और अफवाहें फैला रहे हैं। अगर जरूरत पड़ी तो मैं जल्द ही इन भ्रष्टाचारियों के चंडीगढ़ कनेक्शन का खुलासा करूंगा।
संघेड़ा ने कहा कि अध्यक्ष को ट्रस्ट के अधिनियम और नियमों के अनुसार सभी काम करने और चलाने होते हैं और सरकार को केवल ट्रस्ट के कामों की निगरानी और नियंत्रण करना होता है। पंजाब टाउन इम्प्रूवमेंट एक्ट, 1922 के तहत चेयरमैन के पास सभी कर्मचारियों और अन्य सभी शक्तियों पर नियंत्रण होता है और वह FIR करता है। रजिस्ट्रेशन और कोर्ट के मामलों के लिए स्पष्ट रूप से सक्षम प्राधिकारी हैं।
3 मामले पाइपलाइन के भी
चेयरमैन की मंजूरी से कार्यरत अधिकारी भी FIR दर्ज करा सकते हैं और जालंधर पोस्टिंग के दौरान राजेश चौधरी ने भी कई बार FIR दर्ज कराई थी। उन्होंने पुलिस विभाग को दर्ज कराने के लिए लिखा। इन 2 मामलों के अलावा 3 और मामले पाइपलाइन में हैं जिनमें मुकदमा दर्ज किया जाना है।
इस पहले भी चंडीगढ़ मुख्य दफ्तर में दिनांक 22.03.2022 को चीफ ऑफिस की पड़ताल के बाद तैयार की गई थी। जिसमें राजेश चौधरी का भी नाम है। इस रिपोर्ट में कुछ प्लॉट को अलॉटमेंट के धोखाधड़ी शामिल है। घोटालों में एक पूर्व जज की ओर से नियमित जांच के दौरान ट्रस्ट का एक जूनियर स्थानीय निकाय कार्यालय के सहायक, सीनियर सहायक और चेयरमैन पर भी आरोप साबित हो चुके है। स्थानीय बॉडिज दफ्तर में कार्रवाई जा री है।