Not only Shri Krishna, these gods were also secretly helping Arjun : महाभारत के युद्ध में अर्जुन को केवल भगवान श्रीकृष्ण का ही साथ नहीं मिला था, बल्कि अन्य देवताओं ने भी गुप्त रूप से उनकी मदद की थी। भगवान श्रीकृष्ण के साथ हनुमान जी, अग्नि देव और इंद्र देव ने अर्जुन को अप्रत्यक्ष रूप से सहायता दी, जिससे उन्होंने कौरवों को पराजित करने में सफलता पाई। यह दर्शाता है कि जब धर्म की रक्षा का समय आता है, तो सभी दिव्य शक्तियां एकजुट होकर मदद करती हैं। यह रहस्य आज भी महाभारत के अद्भुत पहलुओं में से एक है। यहां तीन ऐसे प्रमुख देवताओं और उनके योगदान का वर्णन किया गया है।
1. भगवान हनुमान
अर्जुन के रथ पर ध्वज (झंडा) में भगवान हनुमान विराजमान थे।
हनुमान जी की उपस्थिति : भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कहा था कि हनुमान जी उनकी शक्ति और रक्षा के लिए रथ के ध्वज पर स्थित होंगे।
मदद कैसे की : युद्ध के दौरान जब भी अर्जुन पर भारी संकट आया, हनुमान जी ने अपने अदृश्य रूप में उनकी रक्षा की। उनकी गर्जना ने कौरवों की सेना में भय उत्पन्न किया और अर्जुन के मनोबल को बढ़ाया। उनके कारण अर्जुन का रथ हमेशा अडिग और मजबूत रहा।
2. भगवान अग्नि
भगवान अग्नि का योगदान अर्जुन की शक्ति को बढ़ाने में अहम था।
अग्नि देव का आशीर्वाद: जब अर्जुन और श्रीकृष्ण ने खांडव वन दहन किया था, तो अग्नि देव ने प्रसन्न होकर अर्जुन को दिव्य गांडीव धनुष और अक्षय तरकश (असीमित बाण) दिया। यह धनुष और बाण महाभारत के युद्ध में अर्जुन के सबसे बड़े हथियार थे।
मदद कैसे की : अग्नि देव ने अर्जुन को यह सुनिश्चित किया कि उनके पास युद्ध के दौरान बाणों की कमी न हो। इसके अलावा, अग्नि देव ने अर्जुन को युद्ध के दौरान अदृश्य रूप में ऊर्जा प्रदान की।
3. भगवान इंद्र (अर्जुन के पिता)
देवताओं के राजा और अर्जुन के पिता, भगवान इंद्र ने भी अपने पुत्र को सहायता दी।
इंद्र का वरदान : अर्जुन को भगवान इंद्र ने दिव्य अस्त्र, जैसे वज्र (इंद्र का शक्तिशाली अस्त्र) और पाशुपतास्त्र की शिक्षा दी। इंद्र ने अर्जुन को अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए स्वर्ग में बुलाकर प्रशिक्षित किया।
मदद कैसे की: महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन जब कर्ण के शक्तिशाली दिव्यास्त्रों से घिरे थे, तो इंद्र ने उन्हें बचाने के लिए अपनी शक्तियों का प्रयोग किया। इंद्र ने कर्ण से कवच और कुंडल छीनकर अर्जुन को परोक्ष रूप से सुरक्षा प्रदान की।
इन गुप्त मदद के पीछे का कारण
धर्म की रक्षा : इन देवताओं का उद्देश्य धर्म और सत्य के पक्ष में खड़े रहना था।
अर्जुन का चयन : अर्जुन न केवल एक महान योद्धा थे, बल्कि वह धर्म की स्थापना के लिए भगवान कृष्ण के मार्गदर्शन में कार्य कर रहे थे।
गुप्तता बनाए रखना : देवताओं ने गुप्त रूप से मदद की ताकि कौरव सेना को उनकी उपस्थिति का आभास न हो और युद्ध के संतुलन में बाधा न आए।