हर घर में मिलने वाला सरसों का तेल सेहत के हिसाब से काफी लाभदायक है। इसक सेवन करने से त्वचा, बालों, जोड़ों के दर्द में काफी राहत मिलता है। इसके अलावा सरसों के तेल में कुछ ऐसे औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो फंगल इंफेक्शन के इलाज में उपयोगी हैं।
इतना ही नहीं इससे शरीर की इम्युनिटी भी बढ़ती है। वहीँ आयुर्वेद के अनुसार शरीर अपना निदान विशेष जैविक ऊर्जा प्रकारों से करता है, जिन्हें दोष कहा जाता है। इन दोषों को वात, पित्त और कफ के नाम से जाना जाता है। मनुष्य की सारी शारीरिक, मानसिक और यहां तक कि आध्यात्मिक क्रियाएं इन दोषों की परस्पर संतुलन से निर्धारित होती है।
आयुर्वेद में सरसों के तेल का उपयोग कफ और वात को कम करने और पित्त को बढ़ाने के लिए किया जाता है। आयुर्वेद में कई ऐसी औषधियां हैं, जिनके निर्माण में सरसों के तेल का उपयोग किया जाता है।
दरअसल सरसों के तेल में 60 फीसदी मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड, 42 फीसदी इरूसिक एसिड, 12 फीसदी ओलिक एसिड के साथ लगभग 21 फीसदी पॉलीअनसेचुरेटेड फैट के अलावा 6 फीसदी ओमेगा-3 अल्फा-लिनोलेनिक एसिड और 15 फीसदी ओमेगा-6 लिनोलिक एसिड पाया जाता है।
सरसों के तेल का सेवन करने से अन्य फायदे
- खांसी, सर्दी को कम करने का काम करता है। वहीँ सरसों के तेल का भाप लेने से श्वसन संबंधी रुकावटें भी दूर होती हैं।
- सरसों के तेल में कुछ लहसुन की कलियां और एक चम्मच अजवाइन को गर्म करके बनाये गये मिश्रण को पैरों और छाती पर मालिश करने से सर्दी और खांसी में राहत मिलती है। इसके अलावा साइनसाइटिस से पीड़ित मरीजों पर भी सरसों का तेल सकारात्मक छोड़ता है।
- सरसों के तेल को प्राकृतिक दर्द निवारक माना जाता है। यह सूजन कम करता है। इसके मालिश से जोड़ों से संबंधित परेशानी दूर होती है। साथ ही पूरे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन सही करता है। इसके रोजाना मालिश करने से गठिया के दर्द में भी राहत मिलती है।
- ये तेल जीवाणुरोधी और एंटीफंगल भी होता है जो विभिन्न प्रकार की त्वचा की बीमारियों के इलाज के लिए किया जा सकता है, जिसमें चकत्ते, खुजली, एलर्जी जैसी बीमारियां शामिल हैं।
- सरसों के तेल का सेवन करने से लीवर और प्लीहा पित्त और पाचक रस छोड़ते हैं, जो पाचन तंत्र को बेहतर बनाते हैं।
- फटी हुई एड़ियों में सरसों के तेल से मालिश करने पर राहत मिलती है।