नए संसद भवन की सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक ने सबको हैरान कर दिया है। क्या इतना आसान है संसद के अंदर पहुंचना। विजिटर गैलरी से दो लोग कूदे और सांसदों के बीचो-बीच जा पहुंचे। इनके हाथ में स्मैक केन था, जिससे पीला धुआं निकला। दोनों नारेबाजी भी कर रहे थे। दोनों को सांसदों और सुरक्षा कर्मियों ने पकड़ा। ऐसा दोनों ने क्यों किया इस सवाल का जवाब अभी नहीं मिल सका है। ये तो अंदर वहीं, ट्रांसपोर्ट भवन के बाहर से महिला नीलम और युवक अनमोल को पकड़ा है। महिला तानाशाही नहीं चलेगी नारे लगा रही थी। किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा, मगर क्या सदन के सबसे सुरक्षित हिस्से तक पहुंचना इतना आसान है?
सदन में एंट्री का प्रोसीजर
संसद सभी के लिए खुली है, लेकिन अंदर जाने का एक प्रोसीजर है। इसके लिए पास बनता है। संसद के अंदर म्यूजियम देखने के लिए परमिशन मिलती है। संसद सत्र में जाने की अनुमति अलग से मिलती है। इस दौरान, कोई भी व्यक्ति संसद में जाकर लोकसभा की कार्यवाही सीधे सकता है।
लोकसभा भवन में एक विजिटर गैलरी है, जो बालकनी के रूप में है। यहां आम लोग बैठते हैं। लोकसभा में एंट्री के लिए तय सीमित समय के लिए पास मिलता है। का होता है।
सांसद की मोहर लगती है तो पास बनता है
लोकसभा में कार्यवाही देखने के लिए एक फॉर्म भरा जाता है। ये फॉर्म लोकसभा के रिसेप्शन ऑफिस या लोकसभा की आधिकारिक वेबसाइट www.parliamentofindia.nic.in से मिलता है। फॉर्म भरने के बाद आवेदन के इस फॉर्म को किसी भी लोकसभा सांसद से वेरिफाई करवाना होता है। ये सांसद आपके संसदीय क्षेत्र से ही हों ऐसा जरूरी नहीं है। पास तभी जारी होगा जब इसके फॉर्म पर सांसद के दस्तखत और मोहर लगी हो। लोकसभा की दर्शक दीर्घा के लिए एक दिन के एडवांस पर ही पास बनवाए जा सकते हैं।
पास के अलावा, संसद का एजुकेशनल टूर भी होता है, जिसमें बच्चों के एक समूह को लोकसभा की कार्यवाही दिखाई जाती है. इसके लिए, स्कूल या अन्य शिक्षण संस्थान को किसी सांसद, लोकसभा स्पीकर या लोकसभा के महासचिव से संपर्क करना होता है। सभी बच्चों की जानकारी पहले से ही उपलब्ध करवाई जाती है, उसके बाद ही उनके लिए पास जारी होते हैं।
घटना ने छोड़े सवाल
- किस सांसद ने इन विजिटर के फार्म पर मोहर लगाई।
- संसद के अंदर तक स्मोक केन कैसे चला गया।
- प्रदर्शनकारियों की पूरी तरह जांच क्यों नहीं हुई।
- प्रदर्शनकारियों का उद्देश्य क्या है।
आईए जानते हैं कब-कब संसद की सुरक्षा में चूक हुई
सन 2001 और तारीख थी तेरह दिसंबर। सुबह के पौने बारह बज रहे थे। एक गाड़ी संसद में दाखि होती है, जिसके विंडशील्ड पर होम मिनिस्ट्री का बिल्ला छपा हुआ था। सुरक्षा कर्मियों को शक हुआ तो उन्होंने कार को वापस जाने के लिए कहा । मगर तभी कार से निकले आतंकवादी गोलियां चलाने लगे। संसद के दरवाजे बंद हो चुके थे। सदन में 100 से ज्यादासांसद मौजूद थे। सुरक्षाकर्मी एक्टिव हुए और 30 मिनट तक संघर्ष चला। हमले में पांचों आतंकवादी मार गिराए गए। मगर एक माली और आठ सुरक्षाकर्मियों ने भी जान गंवाईऔर पंद्रह लोग घायल हुए थे।
29 अक्टूबर 2014 को राज्यसभा के सिक्योरिटी असिस्टेंट डायरेक्टर ने विज्ञान भवन की विजिट के दौरान अपना वायरलेस सेट खो दिया था। सेट संसद के अंदर VVIP मूवमेंट ट्रैक करने के लिए होता है। कुछ वक्त बाद उनका सेट तुगलक रोड के पास पड़ा मिला था जिसे बाद में दिल्ली पुलिस को सौंप दिया गया था।
11 मार्च 2016 को प्रदीप कुमार नाम का शख्स सुबह करीब सात बजे संसद के अंदर मौजूद प्रधानमंत्री के दफ्तर के पास पहुंच गया था। उसे गिरफ्तार कर लिया गया था।
साल 2016 के नवंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था। संसद सत्र के दौरान राकेश सिंह बघेल ने दर्शक दीर्घा से सदन में कूदने का प्रयास किया था। जिसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने उसे हिरासत में ले लिया था। तत्कालीन बीजेपी सांसद भोला सिंह के रेफरेंस से उसे सदन में एंट्री मिली थी।