Guitar magician Gorakh Sharma made tunes like Karz-Aashiqui immortal, worked in 500 films : 1980 में आई फिल्म 'कर्ज' के गाने 'एक हसीना थी' की धुन अपने वक्त में 'कर्ज' की आइकॉनिक थीम संगीत के जिस जादूगर के गिटार से पहली बार निकली थी, उनका नाम है गोरख शर्मा। हिंदी सिनेमा के गोल्डन दौर यानी 1950 के दशक में एक म्यूजिक डायरेक्टर थे पंडित रामप्रसाद शर्मा। गोरखपुर के रहने वाले रामप्रसाद को संगीत का ऐसा ज्ञान था कि नौशाद, सी. रामचंद्र, उत्तम सिंह लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल और अनु मलिक जैसे कई बड़े म्यूजिक डायरेक्टर्स ने उनसे कभी न कभी, कुछ न कुछ सीखा था। 'कर्ज' का म्यूजिक ऐसा पॉपुलर हुआ कि सिर्फ गानों के लिए बहुत लोगों ने बाद में इस फिल्म की तरफ मुड़कर देखना शुरू कर दिया। 'कर्ज' का म्यूजिक कंपोज किया था अपने दौर की टॉप संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने।
28 दिसंबर 1946 में जन्मे गोरख शर्मा
गोरख शर्मा इन्हीं रामप्रसाद शर्मा के घर 28 दिसंबर 1946 में जन्मे थे। पिता से ही म्यूजिक की बेसिक ट्रेनिंग लेने वाले गोरख बहुत कम उम्र में म्यूजिक नोटेशन पढ़ना और कई म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट प्ले करना सीख गए थे। तार वाले म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स प्ले करने में उन्हें खास महारत हासिल थी। ऐसा ही एक इंस्ट्रूमेंट है मैन्डोलिन, जो आपने 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' में शाहरुख खान के हाथ में देखा होगा।
14 साल की उम्र से थे म्यूजिक का हिस्सा
गोरख शर्मा ने फिल्मों में अपनी शुरुआत यही इंस्ट्रूमेंट प्ले करने से की थी। शुरुआत में गोरख एक छोटे से म्यूजिकल ग्रुप का हिस्सा थे जिसका नाम था बाल सुरील कला केंद्र. इस ग्रुप में हृदयनाथ मंगेशकर, उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर, लक्ष्मीकांत कुदालकर और गोरख के बड़े भाई, प्यारेलाल शर्मा समेत कई कलाकार थे। इन सभी ने आगे चलकर बहुत नाम कमाया।
फिल्मों के लिए म्यूजिक कम्पोज किया
बाद में लक्ष्मीकांत ने प्यारेलाल ने साथ मिलकर फिल्मों के लिए म्यूजिक कम्पोज करना शुरू किया। वहीं प्यारेलाल के छोटे भाई गोरख, इस जोड़ी के रेगुलर साथी बन गए। 1960 में आई गुरुदत्त की आइकॉन फिल्म 'चौदहवीं का चांद' में, मुखड़े और अंतरे के बीच में आपको जो मैन्डोलिन की धुन सुनाई देती है। वो गोरख शर्मा ही प्ले कर रहे थे तब उनकी उम्र केवल 14 साल थी।
पहले म्यूजिक आर्टिस्ट गोरख शर्मा
मैन्डोलिन के मास्टर बन चुके गोरख शर्मा ने एनिबल कास्त्रो से गिटार सीखा था। एनिबल को अक्सर भारत का बेस्ट जैज म्यूजिशियन कहा जाता था और गिटार स्किल्स के मामले में उनका नाम लैरी कोरीएल और माइल्स डेविस जैसे इंटरनेशनल लेजेंड्स के साथ लिया जाता है। गोरख ने गिटार भी ऐसा साधा कि आने वाले तीन दशकों में उनकी धुनें फिल्मी गानों में गूंजती रहीं। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में बेस गिटार प्ले करने वाले पहले म्यूजिक आर्टिस्ट गोरख शर्मा ही थे।
टॉप-ग्रेड म्यूजिक आर्टिस्ट में से एक
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक वक्त था जब सिने म्यूजिशियन्स एसोसिएशन, म्यूजिक आर्टिस्ट्स के ग्रेड तय किया करती थी। इन ग्रेड्स के आधार पर ही उन्हें फीस मिलती थी। जिन संगीतकारों को टॉप ग्रेड रेटिंग मिली थी उनमें केवल तीन नाम थे- पंडित शिवकुमार शर्मा जिन्हें लोग संतूर वादन से याद रखते हैं। पंडित हरिप्रसाद चौरसिया जो मशहूर बांसुरी वादक हैं और गोरख शर्मा।
करियर लगभग 50 साल लंबा रहा
2018 में दुनिया को अलविदा कहने से पहले, हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में गोरख का करियर लगभग 50 साल लंबा रहा। जिसमें उन्होंने करीब 500 फिल्मों के 1000 से ज्यादा गानों के लिए म्यूजिक प्ले किया। उनके जादू से सजे कुछ मशहूर गानों में 'जादू तेरी नजर', 'सांसों की जरूरत है जैसे', 'मैं शायर तो नहीं' और 'मेरे महबूब कयामत होगी' जैसे आइकॉनिक गीत शामिल हैं।