खबरिस्तान नेटवर्क : उत्तर प्रदेश के गांव जलौन में खेलने के दौरान ढाई साल की बच्ची को एक आवारा कुत्ते ने काट लिया। इसके कारण एक दो दिन बाद बच्ची की मौत हो गई। मरने से पहले बच्ची ने गांव के 50 से भी ज्यादा लोगों को काट लिया। गांव में दहशत का माहौल बना हुआ है। मौत की खबर सुनने के बाद से ही गांव के लोग सीएचसी कोंच में एंटी-रेबीज का इंजेक्शन लगवा रहे हैं।
बता दें कि ढाई वर्षीय बच्ची काव्या अपने मामा के घर गांव हिड़ोखरा में खेल रही थी। कुत्ते के काटने के बाद परिजनों ने उसका इलाज कराने के बजाय झाड़-फूक कर उसे ठीक करने की कोशिश की। ऐसा करने में वे सफल नहीं हो पाए, जिस कारण बच्ची की मौत हो गई। मिली जानकारी अनुसार कुत्ते के काटने के बाद बच्ची को एक, दो दिनों बाद लक्षण सामने आए। इसके बाद उसे उरई ले जाया गया, जहां से उसे झांसी के मेडिकल कॉलेज में रेफर किया गया, जहां उसकी मौत हो गई।
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कुत्ते के काटने पर बिना देरी लें फर्स्ट ऐड
कुत्ते के काटने पर बिना देरी किए फर्स्ट एड लेना चाहिए। ऐसी स्थिति में सबसे पहले प्रभावित हिस्से पर गर्म पानी डालें और उसे साबुन से धोएं। ऐसे में एंटीबैक्टीरियल लोशन भी लगाया जा सकता है, जिससे बैक्टीरिया फैलने का खतरा कम हो सके। अगर कुत्ते के काटने पर खून निकलता है तो ऐसे में किसी साफ कपड़े से प्रभावित हिस्से को दबाकर रखें। इससे खून निकलना कम होता है। खून रोकने के लिए आप चाहें तो बैंडेज का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यह सभी काम करने के बाद आपको इसके लक्षणों को भी देखते रहना है। रेडनेस, सूजन, दर्द और बुखार होने पर चिकित्सक की सलाह लें।
कैसे फैलता है रैबीज?
रैबीज की मुख्य वजह न्यूरोट्रोपिक लाइसिसिवर्स नामक वायरस होता है। यह विकार संक्रमित जानवर की लार द्वारा फैलता होता है। जो लार ग्रंथियों और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है। आमतौर पर पागल जानवर के काटने और और खरोंचने से होता है। रैबीज के लक्षण दिखाई देने की समयावधि चार दिनों से लेकर दो वर्ष तक या कभी कभी उससे भी अधिक हो सकती है। इसलिए इसके घाव के वायरस को जल्द से जल्द हटाना जरूरी होता है। किसी भी संक्रमित जानवर के संपर्क में आने या फिर उसे छूने के बाद अपने अंगों को छूने से भी यह संक्रमण फैल सकता है। ऐसे में आपको बुखार, घाव वाले हिस्से में झुनझुनी और हर समय थकान जैसी स्थिति महसूस हो सकती है।
इसके घाव को तुरंत पानी और साबुन से धोना चाहिए। इसके बाद एंटीसेप्टिक का उपयोग करना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार के संक्रमण की संभावना को कम किया जा सके।
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