खबरिस्तान नेटवर्क: असम के कई जिलों में पिछले कुछ दिनों से वार्षिक मानसूनी बाढ़ काफी खतरनाक होती हुई दिख रही है। इस साल बाढ़ की पहली लहर के कारण 21 जिलों को प्रभावित किया है और वहीं कुछ दिनों से लगातार पड़ रही बारिश के कारण नदियां उफान पर हैं। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ( ASDMA) ने खुद इस बात की पुष्टि की है कि बुधवार को दो और लोगों की जान चली गई है जिससे इस साल बाढ़ से मरने वाले लोगों की कुल संख्या 14 हो चुकी है।
पानी में डूबे कई गांवों
कुल मिलाकर, इन इलाकों में 66 राजस्व मंडल वर्तमान में बाढ़ के पानी में डूबे चुके हैं। बढ़ते जल स्तर के दबाव में नदी के किनारे टूटने से कृषि भूमि के बड़े क्षेत्र और दर्जनों गांव जलमग्न भी हो चुके हैं। बाढ़ के कारण राज्य की कई प्रमुख नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। इनमें ब्रह्मपुत्र (निमतिघाट, तेजपुर और धुबरी में), बुरहिडीहिंग (चेनीमारी और खोवांग), कोपिली (कामपुर और धर्मतुल), बराक (फुलरताल, बीपी घाट और एपी घाट), सोनाई (अमराघाट), रुकनी (धोलाई), धोलेश्वरी (घोरमुरा), कटखल (मटिजुरी) और कुशियारा (श्रीभूमि) शामिल हैं।
फसलों को भी पहुंचा भारी नुकसान
निचले इलाकों और नदी से सटे इलाकों में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई है। बुधवार रात जारी एएसडीएमए के अनुसार, 1494 गांवों के 6.79 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ के पानी से प्रभावित हुए हैं और 14,977 हेक्टेयर से ज्यादा कृषि भूमि पानी में डूब चूके हैं। बाढ़ के कारण राज्य में फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है, जिसके कारण खाद्य सुरक्षा को लेकर चिंताएं काफी बढ़ गई हैं।
बाढ़ के कारण सड़कों पर भी भरा पानी
इसके अलावा बाढ़ ने 5.15 लाख से ज्यादा पशुधन को प्रभावित किया है, इससे ग्रामीण परिवारों का नुकसान और बढ़ गया है। वहीं, बाढ़ से इलाकों की स्थिति गंभीर होता देखकर राज्य सरकार ने विस्थापित लोगों की सहायता के लिए 405 बाढ़ राहत शिविर स्थापित किए हैं।
हाई अलर्ट पर अधिकारी
इन आश्रय स्थलों पर आपदा से प्रभावित हजारों लोगों को अस्थायी आवास, भोजन और चिकित्सा सहायता दी जा रही है। राज्य में भारी बारिश को देखते हुए अधिकारी हाई अलर्ट पर हैं। मानसून का मौसम अभी शुरू ही हुआ है, इसलिए आने वाले हफ्तों में बाढ़ की तीव्रता में और वृद्धि होने की चिंता बढ़ रही है।