आपने कहीं न कहीं देखा होगा कि चलते-चलते सड़क पर बेहोश होकर कोई व्यक्ति गिर गया है ऐसे में किसी दूसरे व्यक्ति ने उसकी जान बचायी। दरअसल गिर जाने पर व्यक्ति को बेसिक लाइफ सपोर्ट यानि बीएलएस दिया गया था।
अब आप सोच रहे होंगे की आखिर ये बीएलएस क्या है। इसको देने से किसी व्यक्ति की जान कैसे बच सकती है। दरअसल जालंधर के शरणजीत हॉस्पिटल में श्री diagnostic के रेडियोलाजिस्ट डॉक्टर मुकेश गुप्ता ने बेसिक लाइफ सपोर्ट कैंपेन के तहत यहाँ के स्टाफ मेम्बेर्स और डॉक्टर्स को बेसिक लाइफ सपोर्ट की ट्रेनिंग दी।
डॉक्टर मुकेश गिप्ता ने प्रैक्टिकल के जरिये दी जानकारी
पूर्व आइआरआइए के प्रदेश प्रधान डा. मुकेश गुप्ता ने बीएलएस के बारे में प्रैक्टिकल करके सबको बताया की किस तरह से किसी की संकट में जान बचाई जा सकती है। आपको बता दें डॉ. मुकेश ने इसी को लेकर एक मुहीम शुरू की हुई है।
जिसमे वे अब तक कई कैंप लगा चुकें हैं और अब उन्होंने जालंधर के शरणजीत हॉस्पिटल के डॉक्टर्स और स्टाफ मेम्बेर्स को सिखाया कि किस तरह bls दिया जाता है।
इस तरह की एक्टिविटीज होनी चाहिए
डॉ. विभा के मुताबिक bls सभी को करना चाहिए। इससे न हम किसी भी व्यक्ति की समय पर जान बचा सकते हैं और फिर उसको समय रहते हॉस्पिटल भी पहुँचाया जा सकता है। ये ट्रेनिंग प्रोग्रम्म्स स्कूल के बच्चों को भी सिखाया जाना चाहिए।
सभी को सीखना है जरूरी
डॉक्टर मनवचन सिंह बेदी ने कहा कि ये ट्रेनिंग प्रोग्राम हर एक को सीखने की जरूरत है। आज कल के लाइफ स्टाइल के अनुसार कभी भी किसी को कुछ भी हो सकता है। ऐसे में अगर कोई एकदम से सड़क पर गिर जाये तो उसे bls के जरिये बचाया जा सकता है।
डॉक्टर मुकेश द्वारा चलाया जा रहा ये कैंपेन काफी लोगों की जान बचा सकता है। इस तकनीक को अगर हर कोई सीख ले तो लाखों लोगों की जान बचायी जा सकती है।
लगभग 25 स्टाफ मेम्बेर्स ने भाग लिया
इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में डॉक्टर मुकेश गुप्ता की तरफ से लगभग 25 स्टाफ मेम्बेर्स को ट्रेनिंग दी। इस मौके पर हॉस्पिटल के डॉक्टर एचएस बेदी, डॉक्टर एचके बेदी, डॉक्टर मनवचन सिंह बेदी, डॉक्टर विभा, डॉक्टर नैंसी और डॉक्टर कर्मण्य अरोरा भी शामिल थे।
बीएलएस क्या होता है
बीएलएस एक बेसिक मेडिकल ऐड है जिसमे मरीज को अस्पताल पहुँचाने से पहले या फिर उस स्थिति में दी जाती है, जहां मेडिकल सुविधा तुरंत उपलब्ध नहीं पाती है। इसके लिए मरीज या उस घायल व्यक्ति को सीधा लिटा दिया जाता है।
फिर उसकी नब्ज चेक की जाती है। गर्दन की नाड़ी और नाक पर हाथ लगा कर देखा जाता है कि उसकी सांसें चल रही हैं या नहीं। चेक करने के बाद bls करने वाला व्यक्ति उस रोगी के छाती के बीचोंबीच दोनों हथेलियों को एक दूसरे के ऊपर रख कर जोर जोर से दबाता है।
इस प्रोसेस को कम से कम एक मिनट में 100 से 120 बार करना होता है। इसके बाद उस रोगी को होश तो आ जाता है लेकिन उसकी स्थिति को देखते हुए अस्पताल ले जाना भी जरुरी होता है।