पंजाब में बिना एनओसी से रजिस्ट्री के लिए लोगों को अभी इंतजार करना होगा। सीएम भगवंत मान ने ट्वीट कर ये जानकारी दी है। सीएम ने ट्वीट किया है कि -
रजिस्ट्रियों के लिए एनओसी की शर्त हटाने को लेकर आज अधिकारियों के साथ बैठक की गई और एनओसी के कारण लोगों को होने वाली परेशानियों को खत्म करने पर विस्तृत चर्चा की गई...हम आम लोगों को बड़ी राहत देने जा रहे हैं और अवैध कॉलोनी बनाने वालों के खिलाफ और सख्त कार्रवाई की जाएगी...कानूनी बाधाएं दूर कर जल्द ही फैसला लिया जाएगा...।
बीते दिन मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पंजाब में किसी भी किस्म की जमीन-जायदाद की रजिस्ट्रेशन के लिए एनओसी की शर्त को खत्म करने की जानकारी दी थी, जिसके बाद लोगों ने खुशी का इजहार करते हुए इसे बड़ा फैसला करार दिया था। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ट्वीट किया था कि - यह फैसला जनहित में लिया गया है। कानूनी प्रक्रिया को पहले ही जांच लिया गया है। इसके बारे में विवरण जल्द ही साझा किया जाएगा।
सीएम मान ने कहा था कि ये फैसला आम लोगों से सलाह के बाद लिया गया। इससे लोगों को बड़ा लाभ पहुंचेगा। मौजूदा समय में एनओसी न मिलने की सूरत में शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। लोग जमीन की खरीद-बिक्री नहीं कर पा रहे हैं। एनओसी की बाध्यता के कारण एनआरआई को सबसे ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
अधिकारियों से मीटिंग में चर्चा
सीएम मान ने चंडीगढ़ में बुधवार को इस मसले पर अधिकारियों के साथ मीटिंग की, जिसके बाद फैसले को लागू करने में कुछ कानूनी अड़चनें दरपेश आईं। इसके अलावा अवैध कालोनियों के मसले पर भी चर्चा हुई। अवैध कालोनियों के लिए सरकार कानून सख्त करने जा रही है। ये फैसला कब लागू होगा ये कानूनी अड़चनों के खुलासे के बाद ही क्लियर होगा। मीटिंग में राजस्व मंत्री ब्रह्म शंकर जिंपा, स्थानीय निकाय मंत्री बलकार सिंह व सभी विभागों के सीनियर अधिकारी और कानूनी माहिर मौजूद रहे।
पहले फैसला जा चुका हाईकोर्ट
पंजाब सरकार ने 2019 में बिना एनओसी अवैध कॉलोनियों में सेल डीड की अनुमति की अधिसूचना जारी की थी। जिसे पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने कहा था - अगर ऐसी अनुमति दी गई तो पंजाब अवैध कॉलोनियों से भर जाएगा।
पंजाब में 2014 और 2019 में तत्कालीन सरकारों ने अवैध कॉलोनियों में रजिस्ट्री के लिए वन टाइम सेटलमेंट स्कीम लागू की थी। तब एनओसी की अनिवार्यता समाप्त नहीं की गई थी लेकिन अवैध कालोनियों के लोगों की ओर से सहयोग न देने पर 12 दिसंबर 2019 को रजिस्ट्री के लिए एनओसी की अनिवार्यता खत्म कर दी थी। पंजाब में इस समय 14000 अवैध कॉलोनियां हैं, जिन्हें नियमित करने के उद्देश्य से एनओसी के बगैर रजिस्ट्री की प्रक्रिया लागू की गई थी।
अभी ऐसे होती है रजिस्ट्री
अभी रजिस्ट्री के लिए विक्रेता और खरीदार डीड राइटर के पास संपत्ति के कागजात- जमीन का खसरा नंबर, सौदे की शर्तें, गवाहों की जानकारी, संबंधित क्षेत्र का कलेक्टर रेट, जमीन के खरीदार और विक्रेता की जानकारी सहित अन्य बिंदुओं को दर्ज कराते हैं। दस्तावेजों की जांच के बाद प्रॉपर्टी डील के हिसाब से फीस तय होती है। इसके बाद फीस के अनुसार स्टांप पेपर ऑनलाइन खरीदे जाते हैं। फीस जमा करवाने के बाद पटवारखाने में तहसीलदार के पास जाने से पहले नंबरदार सभी दस्तावेजों की तस्दीक करता है।
तहसीलदार के सामने बेचने वाला और खरीदार पहुंचते हैं। दोनों की फोटो के बाद दस्तावेज पर साइन होते हैं। तहसीलदार की मुहर लगते ही रजिस्ट्री हो जाती है और इसके बाद अंत में एक हस्तांतरण होता है, जो राजस्व रिकॉर्ड में संपत्ति को नए मालिक के नाम पर दर्ज कर देता है। बीते एक महीने से सरकार की वेबसाइट में व्यवधान के चलते एनओसी लेने के लिए सैकड़ों लोग दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।
रजिस्ट्री में रिश्वत का खेल
जमीन की रजिस्ट्री करवानी हो तो रिश्वत देनी ही पड़ती है ऐसा सब लोग मानते हैं। पंजाब में आप सरकार के आने के बाद विजिलेंस ब्यूरो ने पिछले साल एक रिपोर्ट में 48 राजस्व अधिकारियों के नामों का खुलासा किया गया, जिन पर बिचौलियों के माध्यम से रिश्वत लेने का आरोप था। फंसे हुए राजस्व अधिकारियों में राज्य भर के विभिन्न जिलों के 28 तहसीलदार, 19 नायब तहसीलदार और एक उप-रजिस्ट्रार शामिल हैं। रिश्वत सरकारी कर्मचारियों, जिन्हें रजिस्ट्री क्लर्क, लाइसेंस प्राप्त डीड राइटर (वासिका नवीस) के रूप में जाना जाता है, जो सरकारी कर्मचारी नहीं हैं, और निजी व्यक्तियों द्वारा एकत्र किए गए थे।
रिपोर्ट के अनुसार, तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों ने मध्यस्थों को संपत्ति और भूमि पंजीकरण चाहने वाले व्यक्तियों से रिश्वत के पैसे इकट्ठा करने का काम सौंपा। एक बार रिश्वत एकत्र करने के बाद, विशिष्ट कोड शब्दों का उपयोग किया जाता था, और पैसा उसी दिन संबंधित राजस्व अधिकारियों को पहुंचा दिया जाता था। रिपोर्ट में सबसे ज्यादा नाम जिला लुधियाना से थे, जहां रिपोर्ट में छह तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों का नाम दिया गया था। बठिंडा और होशियारपुर जिलों में प्रत्येक में पांच राजस्व अधिकारी हैं।