Colorful lights from Ladakh to America : शनिवार की रात लद्दाख से लेकर अमेरिका के आसमान तक कुछ ऐसा हुआ, जो सबको हैरान कर रहा है। कुदरत ने जैसे अपना इंद्रधनुष रचा या फिर होली खेली। सोशल मीडिया पर रंग बिरंगी रोशनी से नहाए आसमान की तस्वीरें और वीडियो वायरल हैं। यह क्या करिश्मा है? हर किसी की जुबान पर यही सवाल है। दरअसल यह सोलर स्टॉर्म (Solar Storm) यानी सौर तूफान है। सौर तूफान का रिश्ता सीधे जुड़ता है सूरज से। सूरज की सबसे बाहरी परत, जो एक चमकती हुई तश्तरी जैसी दिखती है। उसका तापमान करीब 5 हजार डिग्री सेल्सियस होता है, जबकि सूर्य के केंद्र का तापमान कई गुना ज्यादा करीब डेढ़ करोड़ डिग्री सेल्सियस तक होता है।
हर 11 साल में यह घटना, अंतरिक्ष का अबूझा रहस्य
यह कुछ ऐसा ही होता रहता है जैसे कड़ाही में हलुआ बनने के दौरान बुलबुले उठकर फटते हैं। वैसे ही सूरज में यह प्रक्रिया चलती रहती है। सौर ज्वालाएं आगे को निकलती हैं। इन ज्वालाओं से अथाह गर्मी निकलती है। इसका अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि एक सेकेंड में चार करोड़ टन ऊर्जा मुक्त होती है। हाइड्रोजन के हिलियम में बदलते की इस प्रक्रिया में उठने वालीं यह सौर ज्वालाएं लाखों किलोमीटर लंबी होती हैं. यह बड़ी दिलचस्प बात है कि हर 11 साल में सौर ज्वालाएं बढ़ जाती हैं. यह हैरत की बात है कि करीब हर 11 साल में यह घटना होती रहती है. यह अंतरिक्ष का अबूझा रहस्य है।
पृथ्वी के संचार नेटवर्क में बाधाएं आने की आशंका
इस महत्वपूर्ण खगोलीय घटना में सौर ज्वालाओं और कोरोनल मास इजेक्शन की एक सीरीज ने आसमान को चकाचौंध कर दिया है। नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के स्पेस वेदर प्रिडिक्शन सेंटर के मुताबिक, इस तरह का दुर्लभ सौर तूफान अक्टूबर 2003 में देखा गया था। यह एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना थी। मौजूदा सोलर स्टॉर्म अक्टूबर 2003 के बाद आए "हैलोवीन तूफान" के बाद दूसरा सबसे बड़ा तूफान है। हैलोवीन के चलते स्वीडन में ब्लैकआउट हो गया था। दक्षिण अफ्रीका में ग्रिड ठप हो गए थे। सन 1859 में इसे कैरिंगटन इवेंट नाम दिया था। इस तूफान से संचार लाइनें पूरी खराब हो गई थीं।
ट्रांसफार्मर सौर घटना का सामना करने में सक्षम नहीं
सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, विज्ञानी बिल नी ने हमारे तकनीक पर निर्भर समाज पर सौर तूफान के होने वाले असर को लेकर आशंका जताई है। उन्होंने सन 1859 के कैरिंगटन इवेंट से इसकी तुलना करते हुए बिजली और इलेक्ट्रॉनिक्स पर हमारी भारी निर्भरता से पैदा होने वाले जोखिम पर जोर दिया। उन्होंने बाधाएं पैदा होने पर संभावित प्रभावों को भी रेखांकित किया। सौर तूफान से बचाव के मौजूदा उपायों के बावजूद बिल नी ने आगाह किया कि सभी इन्फ्रास्ट्रक्चर, खास तौर पर ट्रांसफार्मर, इस तरह की सौर घटना से होने वाले असर का सामना करने में पर्याप्त सक्षम नहीं हो सकते हैं, जिससे अप्रत्याशित जटिलताओं की गुंजाइश रहती है।