अंदर जावां ते पोते-पोतियां आवाजां मारदे सुनदे ने, बाहर जावां ते ओह दिन याद आ जांदा है, जदों सारे मेरे तों विछड़ गए। मेरा परिवार उजड़ गया। कुज्ज नहीं रिहा मेरे कोल। ये बातें उस बदनसीब महिला की हैं, जिसका बेटा, बहू, पोते-पोतियां और पति एक ही झटके में भगवान ने उससे छीन लिए।
अवतार नगर में बीते दिनों हुआ हादसा हर किसी को याद होगा, जिसने सुना वह दुखी हुआ। मगर इस दुखियारी का दर्द कोई नहीं बंटा सकता। जिसने अपने हाथों से परिवार को पाला और बच्चों को बढ़ा किया। लेकिन कुछ ही समय में सब कुछ खत्म हो गया।
अवतार नगर गली नंबर 12 में फ्रिज में धमाके के बाद लगी आग में जले परिवार में से सिर्फ बलबीर कौर ही अकेली बची है। घर का एक-एक कोना जला हुआ है। परिवार में अकेली बची बलबीर कौर से मिलने खबरिस्तान की टीम उनके घर गई। पोते-पोतियों के बारे में पूछने पर बलबीर कौर ने कहा कि - मेरे बलूंगड़े सी, मेरे नाल बोहत प्यार सी, काश मैं वी उस दिन अंदर हुदीं ता ओहना नाल ही चली जांदी।
मेरा तो परिवार ही उजड़ गया
रोते हुए बलबीर कौर ने कहा कि अब अकेले रह कर में क्या करुंगी, मेरा तो परिवार ही उजड़ गया और कभी अपने पोते पोतियों की पुरानी बातें याद करके हंसने लग जाती और जब याद आता कि अब वह इस दुनिया में नहीं रहे तो जोर-जोर से रोने लग जाती। बलबीर कौर को होसला देने के लिए आस पड़ोस की महिलाएं और उसकी बेटियां घर मौजूद थी। इसके साथ ही अपने पति यशपाल के बारे में बताते हुए कहा कि उन्होंने जवानी में बहुत मेहनत की और उन्होंने भी साथ दिया। लेकिन आज वह भी उनके साथ नहीं हैं।