कनाडा सरकार लगातार अपने देश में बेरोजगारी को कम करने के लिए अलग-अलग नियम ला रही है। जिससे दूसरे देशों से कनाडा में भविष्य देखने वाले लोगों को झटका लगा है। ट्रूडो सरकार ने कनाडा में 'टेंपरेरी फॉरेन वर्कर प्रोग्राम' में बदलाव किया है, ताकि इस योजना का दुरुपयोग रोका जा सके। साथ ही इस योजना के जरिए लोगों के साथ धोखाधड़ी से बचाया जा सके।
दरअसल, कनाडा में 'टेंपरेरी फॉरेन वर्कर' (TFW) प्रोग्राम के जरिए कनाडाई कंपनियां विदेशी कामगारों की भर्ती करते हैं। उनके पास ऐसा करने का विकल्प तभी होता है, जब उन्हें कनाडा में अच्छे या योग्य लोग काम के लिए नहीं मिलें।
TFW का हो रहा है दुरुपयोग
पर सरकार अब इसे बदल रही है। कनाडाई सरकार का कहना है कि देश में प्रतिभाशाली कामगारों को काम पर रखने से बचने और इसके बजाय विदेशी वर्कर्स पर भरोसा करने के लिए 'टेंपरेरी फॉरेन वर्कर' (TFW) प्रोग्राम का दुरुपयोग किया गया है।
नौकरी में देश को युवाओं को दी जाए प्रथामिकता
सरकार ने कहा है कि अब 'टेंपरेरी फॉरेन वर्कर' प्रोग्राम का इस्तेमाल कर विदेशी कामगारों की भर्ती से पहले कंपनियों को 'लेबर मार्केट इम्पैक्ट असेसमेंट' (LMIA) करना होगा, जिसमें उन्हें साबित करना होगा कि जिस नौकरी पर वह विदेशी कामगार को रख रही हैं, उसे करने के लिए यहां देश में कोई भी योग्य नागरिक नहीं है।
आज से लागू हो रहे हैं नियम
सरकार चाहती है कि कनाडाई कंपनियां और मालिक इस प्रोग्राम पर से अपनी निर्भरता को कम करें। TFW प्रोग्राम को लेकर नए नियम 26 सितंबर यानी आज से लागू हो रहे हैं। कनाडा सरकार 6% या उससे अधिक की बेरोजगारी दर वाले महानगरीय क्षेत्रों में LMIA प्रोसेस करने से इनकार करने वाली है।
10 फीसदी से ज्यादा विदेशी रखने की परमिशन नहीं
खाद्य सुरक्षा क्षेत्रों (कृषि, फूड प्रोसेसिंग और फिश प्रोसेसिंग), साथ ही कंस्ट्रक्शन और हेल्थकेयर में सीजनल और नॉन-सीजनल नौकरियों के लिए LMIA प्रोसेस किया जाएगा। मैनेजर या मालिक को TFW प्रोग्राम के जरिए अपने कुल वर्कफोर्स के 10% से ज्यादा विदेशी कामगार को नौकरी पर रखने की अनुमति नहीं होगी। TFW प्रोग्राम के तहत रखे गए लोगों की नौकरी की अवधि सिर्फ एक साल कर दी गई है, जो पहले दो साल हुआ करती थी।
सबसे ज्यादा पंजाबियों पर होगा असर
कनाडा में हुए इस बदलाव का असर भारतीयों पर भी दिखने वाला है। इसकी वजह ये है कि पंजाब-हरियाणा समेत देश के कई हिस्सों से लोग कनाडा में काम करने जाते हैं। इनमें से ज्यादातर लोग लो स्किल वाली नौकरियां करते हैं, जैसे खेत पर काम करना। इन लोगों को बहुत ही कंपनियां TFW प्रोग्राम के तहत ही नौकरियों पर रखती थीं। मगर नियमों में बदलाव से अब नौकरी पर रखना मुश्किल होने वाला है।