ख़बरिस्तान नेटवर्क : जालंधर सिविल अस्पताल के ट्रामा वार्ड में 3 मरीजों की मौत में के मामले में सेहत मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने एमएस डॉ राज कुमार, एसएमओ डॉ सुरजीत सिंह और डॉ सोनाक्षी को सस्पेंड कर दिया है। सस्पेंड होने के बाद एमएस डॉ. राजकुमार का पहला बयान सामने आया है।
बिना बताए चले गए थे हाउस सर्जन - MS राजकुमार
डॉ. राजकुमार सरकार मामले की जांच कर रही है। घटना के दौरान हाउस सर्जन डॉक्टर शमिंदर सिंह ड्यूटी पर मौजूद नहीं थे। वह बिना किसी को बताए ड्यूटी से घर चले गए थे। डॉक्टर ने कहा कि इन डॉक्टरों का 6 माह का कॉट्रेक्ट होता है, जिसके बाद काम सही करने के बाद उन्हें पक्का किया जाता है और उनकी सैलेरी 37 हजार से 70 हजार कर दी जाती है। लेकिन काम में लापरवाही बरतने के चलते डॉक्टर शमिंदर को रिमूव कर दिया गया है।
सरकार की कार्रवाई के बारे में जानकारी नहीं
उन्होंने आगे बताया कि डॉक्टर सोनाक्षी की घटना वाले दिन शाम की ड्यूटी थी और इन सबकी की सीटिंग ड्यूटी लगी हुई थी। एसएमओ डॉ सुरजीत सिंह ऑक्सीजन प्लांट के इंचार्ज थे। सेहत मंत्री की तरफ से जो कार्रवाई की गई है अभी उन्हें कोई जानकारी नहीं है कि उनके खिलाफ भी कार्रवाई की गई है।
रविवार को हुई थी ऑक्सीजन प्लांट में खराबी
बता दें कि जालंधर सिविल अस्पताल में रविवार 27 जुलाई को ऑक्सीजन प्लांट खराबी आ गई थी। जिस कारण 3 लोगों की मौत हो गई थी। घटना के सामने आने के बाद 9 सदस्यों की कमेटी का गठन किया था, जो मामले की जांच कर रही है। सेहतमंत्री ने इसे मैनेजमैंट की बड़ी लापरवाही बताया है।
मैनेजमैंट स्तर पर यह बड़ी लापरवाही -सेहतमंत्री
सेहत मंत्री डॉ. बलबीर ने कि ऑक्सीजन की कमी के कारण हम जान नहीं बचा सके। मैनेजमेंट स्तर पर यह बड़ी लापरवाही हुई है। ऑक्सीजन प्लांट से दो मशीन इस्तेमाल की जाती है जिसमें की प्रेशर घटने पर बैकअप भी होता है। इस मामले में बड़ी लापरवाही मामले में कार्रवाई करते हुए एमएस डॉ राज कुमार, एसएमओ डॉ सुरजीत सिंह और डॉ सोनाक्षी को सस्पेंड कर दिया गया है।
ये ना सहन करने वाली गलती
उन्होंने आगे कहा कि जांच में अगर ये दोष पाए गए तो इन्हें डिसमिस किया जाएगा। यह बेहद ना सहन करने वाली गलती की है। घटना के बाद वह खुद मौके पर गए थे, जहां उनके साथ टेक्निकल टीम ने जाकर देखा। जिसमें की SMO दीप्ति डायरेक्टर कंसल्ट एनस्थीसिया, सृजन शिवेंद्र की गलती पाई गई।
स्टाफ होने के बावजूद हुई गलती
उन्होंने आगे कहा कि जांच के दौरान पता चला कि अस्पताल में 49 इंटरनल मेडिकल अधिकारी, 46 डॉक्टर ट्रेनी बच्चे, 14 हाउस सर्जन और 17 मेडिकल अधिकारी ड्यूटी पर रहते है। इतना स्टाफ होने के बावजूद ऐसी घटना सामने आए यह बेहद चिंताजनक है।