ख़बरिस्तान नेटवर्क : जालंधर सिविल अस्पताल में रविवार हुई 3 मौतों के मामले की जांच कमेटी की शुरूआती रिपोर्ट सामने आई है। जिसमें खुलासा हुआ है कि अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट को प्रशिक्षित कर्मचारी नहीं बल्कि ग्रुप डी के कर्मचारी चला रहे थे। जबकि यह एक तकनीकी काम होता है और इसे वहीं कर्मचारी चलाते हैं जिन्होंने ट्रेनिंग ली हुई हो।
ऑक्सीजन प्लांट का बिना अनुभव हो रहा था संचालन
कमेटी की जांच रिपोर्ट में यह सामने आया है कि ग्रुप डी के कर्मचारी की ड्यूटी ऑक्सीजन प्लांट पर लगाई गई थी। वह पहले अलग-अलग वार्डों में अस्थाई ड्यूटी करता रहा। ऑक्सीजन प्लांट संचालन का उसके पास कोई तकनीकी अनुभव नहीं था। रिपोर्ट के अनुसार यही लापरवाही उस समय घातक साबित हो सकती है।
पोस्टमॉर्टम न होने से असली कारण नहीं हुआ स्पष्ट
वहीं सिविल अस्पताल प्रशासन ने बताया कि किसी भी मृतकों का पोस्टमॉर्टम नहीं कराया गया, क्योंकि यह पुलिस केस नहीं था और परिजन भी शवों का पोस्टमॉर्टम नहीं कराना चाहते थे। ऐसे में यह पुष्टि नहीं हो पाई कि मौतें ऑक्सीजन की सप्लाई में आई दिक्कत के कारण हुईं या मरीजों की गंभीर हालत के चलते। घटना के बाद सोमवार को सिविल अस्पताल के ऑक्सीजन प्लांट की मरम्मत की गई।