भारत देश में पहली बार दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल में सफल रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था। इसके बाद एक बार फिर एएचआरआर ने यह कारनामा कर दिखाया है। जी हां आर्मी हॉस्पिटल RR अस्पताल दूसरी सफल रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट करने वाला सरकारी अस्पताल बन गया है। बता दें कि आर्मी हॉस्पिटल आरआर के यूरोलॉजी विभाग ने अस्पताल में 33 वर्षीय महिला की सफल रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट कर एक नई शुरुआत की है।
जिस महिला का रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है उसे उसके पति ने ही किडनी दी है। फिलहाल दोनों की तबीयत ठीक है। वहीं इस सर्जरी का नेतृत्व यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख कर्नल अमित शाह ने की थी। साथ ही यह सर्जरी कमांडेंट और AHRR के निर्देशक जनरल अजीत नीलाकंर के गाइडनेस में हुई है। आइए जानते है रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट क्या है और इसे कराने से पेशेंट को क्या फायदें मिलते हैं।
क्या होता है रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट
रोबोट किडनी ट्रांसप्लांट एक न्यूनतम इनवेसिव तकनीक है। जिसमे सर्जरी के लिए रोबोटिक उपकरणों का उपयोग किया जाता है। हालांकि रोबोटिक सर्जरी में उच्च स्तर की विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है।
वहीं यह सर्जरी व्यापक प्रशिक्षण और अनुभव वाले ट्रांसप्लांट सर्जनों द्वारा किया जाता है। साथ ही यह पुराने तरीके से की गई सर्जरी की तुलना में काफी जल्दी रिकवरी करता है।
रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट कैसे होती है
जब किसी पेशेंट का रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट किया जाता है तो इसमे सबसे पहले सर्जन रोगी के पेट में कई छोटे कट लगाकर रोबोटिक उपकरण को डालते हैं। इन सभी उपकरणों में कई कैमरे भी लगे होते हैं जो सर्जन को शरीर के अंदर देखकर सर्जरी करने में हेल्प करते हैं। इसके बाद सर्जन रोबोटिक उपकरणों का प्रयोग करके डोनर की किडनी को पेशेंट के शरीर में ट्रांसप्लांट करते हैं।
जानें रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट के फायदे
रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट में पारंपरिक ओपन सर्जरी के मुकाबले बहुत छोटे कट लगाने की जरूरत पड़ती है इसे में इससे दर्द, खून बहने और इन्फेक्शन का खतरा कम हो जाता है। इतना ही नहीं यह काफी तेजी से रिकवरी करते हैं जिस वजह से पेशेंट को अस्पताल में लंबे समय तक नहीं रहना पड़ता है।
इससे कट के निशान भी काफी छोटे होते है जिस पर ध्यान नहीं जाता है। वहीं रोबोटिक किडनी प्रत्यारोपण के बाद रोगियों को आमतौर पर कम दर्द होता है।