ख़बरिस्तान नेटवर्क : भारत-पाकिस्तान युद्ध में तुर्की ने पाकिस्तान का साथ दिया था। जिसके बाद अब जालंधर की मकसूदा मंडी के फल व्यापारियों ने तुर्की के सेबों का बहिष्कार करने का फैसला किया है। आढ़तियों का कहना है कि भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान का साथ दिया था, जिसके कारण अब तुर्की से आने वाले सेब और अन्य सामान का विरोध हो रहा है।
तुर्की के सेब का किया बायकाट
आढ़ती डिंपी सचदेवा ने कहा कि वह दुश्मन को मजबूत नहीं करना चाहते। तुर्की सेब को पकने में आमतौर पर 4-5 महीने लगते हैं। जब सेब की कमी होती है तो 2 ट्रक आते हैं, लेकिन सामान्य दिनों में 20-25 टन का एक ट्रक रोजाना आता है। हालांकि कश्मीरी सेब बाजार में सबसे लोकप्रिय हैं। नवंबर में जब कश्मीरी सेबों की मांग कम हो जाती है, तो तुर्की सेब बाजारों में आ जाते हैं। अब तुर्की सेबों के बहिष्कार से तुर्की व्यापार पर बड़ा असर पड़ेगा।
इससे पहले उदयपुर की मार्बल मंडी ने तुर्की से व्यापारिक संबंध तोड़ दिए। एशिया की सबसे बड़ी मार्बल मंडी उदयपुर (Udaipur) के व्यापारियों ने यह फैसला लिया है कि अब तुर्की (Türkiye) से मार्बल नहीं मंगाएंगे।
Import हुए सेबों की बिक्री पूरी तरह बंद
इसके साथ ही महाराष्ट्र के पुणे में व्यापारियों ने तुर्की से आयात होने वाले सेबों की बिक्री पूरी तरह बंद कर दी है। साथ ही अब स्थानीय बाजारों से ये सेब गायब हो गए हैं और ग्राहकों ने भी इसका बहिष्कार कर दिया है। हर साल पुणे के फलों के बाजार में तुर्की सेबों की हिस्सेदारी लगभग ₹1,000 से ₹1,200 करोड़ की होती है, लेकिन अब यह कारोबार ठप हो गया है।
अब हिमाचल, उत्तराखंड से आएंगे सेब
वहीं जानकारी देते हुए पुणे के एपीएमसी (agricultural produce market committee) मार्केट में सेब व्यापारी सय्योग जेंडे ने बताया कि हमने तुर्की से सेब मंगवाना पूरी तरह बंद कर दिया है। अब हम हिमाचल, उत्तराखंड, ईरान से सेब मंगा रहे हैं। यह फैसला देशभक्ति की भावना से प्रेरित है और सरकार के समर्थन में लिया गया है।