Accounting of 49 seats, litmus test of veteran leaders : लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण की सोमवार यानी 20 मई को वोटिंग होनी है। इस चरण में आठ राज्यों की 49 सीटों से 695 उम्मीदवार मैदान में है, जिसमें 82 महिलाएं और 613 पुरुष कैंडिटेट शामिल हैं। इस चरण में राहुल गांधी से लेकर स्मृति ईरानी, राजनाथ सिंह, पीयूष गोयल, रोहिणी आचार्य और चिराग पासवान जैसे दिग्गज नेताओं की अग्निपरीक्षा होने के साथ-साथ बीजेपी, कांग्रेस और TMC जैसे राजनीतिक दलों का इम्तिहान होना है। पांचवें फेज का जिन सीटों पर चुनाव है, 2014 और 2019 में बीजेपी उन पर अपना एकछत्र राज कायम रखा हैऍ कांग्रेस के लिए इस चरण में होने के लिए भले ही कुछ नहीं है, लेकिन बीजेपी को सत्ता की हैट्रिक से रोकने के लिए अपना दमखम दिखाना ही होगा।
दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर
पांचवें चरण में देश के 8 राज्यों की 49 सीटों पर चुनाव है, जिसमें उत्तर प्रदेश की 14 लोकसभा सीट शामिल है। इसके अलावा महाराष्ट्र की 13 सीट, पश्चिम बंगाल की 7 सीट, बिहार की पांच सीट, ओडिशा की पांच सीट, झारखंड की 3 सीट, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की 1-1 सीट शामिल हैं। इस चरण में राजनीतिक दलों के साथ-साथ गांधी परिवार के सियासी वारिस राहुल गांधी की परीक्षा होनी है। लालू परिवार से पासवान और शिंदे परिवार सहित कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।
49 सीटों का लो सियासी समीकरण
लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में जिन 49 सीट पर वोटिंग होनी है। पिछले चुनाव में बीजेपी एकछत्र दबदबा जमाने में कामयाब रही थी। 2019 के चुनाव में 49 सीटों में से बीजेपी 40 सीटों पर लड़कर 32 सीटें जीतने में कामयाब रही थी जबकि कांग्रेस सिर्फ एक सीट जीत सकी थी। जेडीयू के एक, एलजेपी एक, शिवसेना 7, बीजेडी एक, नेशनल कॉफ्रेंस एक और टीएमसी चार सीटें जीतने में सफल रही थी। यूपीए सिर्फ दो सीटें ही जीत सकी थी और अन्य को पांच सीटें मिली थी।
BJP का सियासी ग्राफ तेजी से बढ़ा
वहीं, पिछले तीन चुनाव नतीजों का इन सीटों पर विश्षलेण करें तो साफ हो जाएगा कि कैसे बीजेपी इन सीटों पर मजबूत रही है। 2009 में बीजेपी के पास सिर्फ छह सीटें थी जबकि कांग्रेस के पास 14 सीट थी। पांच साल के बाद 2014 में चुनाव हुए बीजेपी बढ़कर 27 पर पहुंच गई और 2019 में 32 सीट हो गई। कांग्रेस 14 सीटों से घटकर 2014 में दो सीट पर आई और 2019 में सिर्फ रायबरेली तक सीमित हो गई थी। बीजेपी का सियासी ग्राफ तेजी से बढ़ा है जबकि कांग्रेस कमजोर हुई है।
BJP के लिए चुनाव सियासी मुफीद
2019 के चुनाव में बीजेपी ने जिन 40 सीट पर चुनाव लड़ी थी। उसमें से 30 सीट पर उसे 40 फीसदी से भी ज्यादा वोट मिले थे और 9 सीटों पर उसे 30 से 40 फीसदी के बीच वोट शेयर था। कांग्रेस को सिर्फ 3 सीट पर ही 40 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे। इनमें से एक सीट ही जीत सकी थी। कांग्रेस को 17 सीटों पर 10 फीसदी से कम वोट मिला था। कांग्रेस 36 सीट पर चुनाव लड़ी थी जबकि बीजेपी 40 सीट पर चुनावी मैदान में थी। बीजेपी के लिए पांचवें चरण का चुनाव सियासी मुफीद माना जा रहा।
तीन चुनाव से एक ही पार्टी को जीत
पांचवें चरण में 12 सीटें ऐसी हैं, जिस पर पिछले तीन चुनाव से एक ही पार्टी को जीत मिल रही है। इसके चलते इन सीटों को उस दल के मजबूत गढ़ के तौर पर देखा जा रहा। बीजेपी के पास 5, टीएमसपी के 3, बीजेडी के पास 2, शिवसेना-कांग्रेस के पास एक-एक सीट है। ओडिशा में बीजेपी के सामने अस्का और कंधमाल को बचाए रखने की चुनौती है। महाराष्ट्र में बीजेपी का गढ़ धुले और डिंडोरी और शिवसेना का गढ़ कल्याण शामिल हैं। बीजेपी के मिशन में झारखंड की हज़ारीबाग सीट शामिल है।
अपनी सीटें बचाए रखने की चुनौती
पश्चिम बंगाल के हावड़ा, श्रीरामपुर और उलुबेरिया क्षेत्र टीएमसी के मजबूत गढ़ के तौर पर जाने जाते हैं। उत्तर प्रदेश में लखनऊ बीजेपी और रायबरेली सीट कांग्रेस के दुर्ग के तौर पर जानी जाती है। बिहार की मधुबनी सीट बीजेपी लगातार अपने नाम कर रखी है। इस तरह बीजेपी पांचवें चरण में मजबूत स्थिति में थी लेकिन इस बार की चुनावी लड़ाई अलग तरीके की है। बीजेपी के लिए सीटें बचाए रखनी की चुनौती है जबकि कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है। चुनाव रोचक माना जा रहा है।
चार सीटें, कम अंतर जीत-हार का
पांचवें चरण में चार लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां से मतदाता हर चुनाव में अपना मिजाज बदल देते हैं। इसमें बारामूला, बारगढ़, पालघर, सीतामढी लोकसभा सीट शामिल हैं, जिसे एक बार जीती हुई पार्टी अपने पास बरकरार नहीं रख पाती। इस चरण में चार सीटें ऐसी हैं, जहां जीत-हार का अंतर बहुत कम था। ये सीटें हैं उत्तर प्रदेश की कौशाम्बी, ओडिशा की बलांगीर और पश्चिम बंगाल की बैरकपुर और आरामबाग। इसी तरह उत्तर प्रदेश की चार सीटें है, जिनपर बहुत कम अंतर जीत-हार का था।
यूपी-बिहार सीटों में कांटे की लड़ाई
उत्तर प्रदेश की 14 लोकसभा सीट तो बिहार की पांच सीटों पर 20 मई को मतदान है। यूपी की 14 में से 13 सीटें बीजेपी जीतने में कामयाब रही थी जबकि कांग्रेस 1 सीट ही जीत सकी थी। बिहार की जिन पांच सीट पर चुनाव है। वह सभी एनडीए ने जीती थी। जेडीयू और एलजेपी एक-एक सीट और बीजेपी तीन सीटें जीतने में सफल रही। झारखंड की जिन तीन सीट पर चुनाव हैं, सभी पर बीजेपी का कब्जा है। महाराष्ट्र की 13 सीटों पर चुनाव हैं, उनमें से सात सीटें शिवसेना और बीजेपी 6 सीटें जीती थी।
विपक्ष एकजुट होकर चुनावी मैदान में
वहीं, पश्चिम बंगाल की जिन सात सीटों पर चुनाव है, उनमें से चार सीटें टीएमसी जीतने में कामयाब रही थी जबकि बीजेपी 3 सीटें ही जीत सकी थी। पिछली बार की तरह इस बार भी कांटे की फाइट मानी जा रही है। इसके अलावा ओडिशा के पांच लोकसभा सीटों पर पांचवे चरण में चुनाव है। इन पांच से तीन सीटें बीजेपी जीतने में सफल रही थी जबकि दो सीट बीजेडी ही जीत सकी थी। इस बार बिहार से लेकर महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में विपक्ष एकजुट होकर चुनावी मैदान में है। इसके चलते बीजेपी के लिए अपनी जीती हुई सीटों को बचाए रखना आसान नहीं है।