दिल्ली में आम आदमी पार्टी नगर-निगम चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। दरअसल, नगर निगम की स्टैंडिंग कमेटी की आखिरी खाली सीट के लिए शुक्रवार (27 सितंबर) को वोटिंग हुआ। इस चुनाव में आप और कांग्रेस ने हिस्सा नहीं लिया।
जिससे भाजपा की जीत हो गई। आप ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) स्थायी समिति के चुनाव को ‘‘असंवैधानिक और अवैध’’ करार दिया। मेयर ने स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव को अवैध बताया है। उन्होंने कहा कि ये चुनाव नियम कानून को ताक पर रखकर हुआ।
वहीं, दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि हमारा भारत देश संविधान से चलता है और संविधान के अनुसार बनाए गए कानूनों से चलता है। दिल्ली के नगर निगम को चलाने के लिए भारत की संसद ने एक कानून पारित किया हुआ है जो है दिल्ली नगर निगम अधिनियम 1957... उन नियम कानूनों को हम देखने जाएं तो 'रेगुलेशन 51' जो स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव के बारे में है उसमें स्पष्ट है कि स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों का चुनाव निगम बैठक में होगा। उसकी तारीख, समय और जगह केवल मेयर निर्धारित कर सकती हैं और निगम बैठक की अध्यक्षता भी केवल मेयर कर सकती हैं।
ऐसे जीती भाजपा
सियासी उठापटक के बीच शुक्रवार को एमसीडी स्थायी समिति के एक सदस्य का चुनाव हुआ। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बहिष्कार से एकतरफा वोटिंग हुई और 115 वोट हासिल कर भाजपा के पार्षद सुंदर सिंह तंवर विजयी घोषित हो गए।
भाजपा के 10 और आप के 8 मेंबर हुए
इससे MCD की सबसे ज्यादा स्टैंडिंग कमेटी में भाजपा का बहुमत हो गया है। अब 18 मेंबर कमेटी में अब भाजपा के 10 और आप के आठ सदस्य हैं। इससे अब स्थायी समिति के अध्यक्ष पद पर भाजपा का दावा मजबूत हो गया। गुरुवार देर रात चुनाव कराने में नाकाम रही एमसीडी ने उपराज्यपाल के दिशा-निर्देश पर शुक्रवार को दोबारा सदन की बैठक बुलाई, लेकिन मेयर शैली ओबराय, डिप्टी मेयर आले इकबाल व सीनियर पार्षद मुकेश गोयल ने अध्यक्षता करने से मना कर दिया। इसके बाद एमसीडी आयुक्त ने चुनाव कराने के लिए अतिरिक्त आयुक्त जितेंद्र यादव को पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया।
करीब 1 बजे अतिरिक्त आयुक्त सदन की बैठक में पीठासीन अधिकारी पहुंचे और चुनाव कराया। इस दौरान भाजपा के सभी 115 सदस्य सीटों पर मौजूद थे, जबकि आप व कांग्रेस के सभी सदस्यों के साथ-साथ एक निर्दलीय सदस्य की सीट खाली थी। इसके बावजूद पीठासीन अधिकारी ने चुनाव की प्रक्रिया शुरू की और चुनाव कराने के लिए ढाई घंटे का समय दिया।
सदन में बीजेपी के सदस्य होने के कारण जीत
सदन में केवल भाजपा के ही सदस्य होने के कारण करीब सवा घंटे में मतदान की प्रक्रिया पूरी हो गई। इसके बावजूद उन्होंने मतगणना शुरू करने के बाद मतदान न करने वाले सदस्यों के दो बार नाम बुलवाए। पीठासीन अधिकारी ने चुनाव कराने का समय खत्म होने से 10 मिनट पहले एक बार फिर मतदान न करने वाले पार्षदों के नाम बोलने का निर्देश दिया।