अफगानिस्तान में तालिबान ने महिलाओं के लिए सख्त कानून लागू कर दिए हैं। जिसमें महिलाओं को हिदायतें दी गई है। जिसमें वह अपने घर से बाहर नहीं बोल सकती, सार्वजनिक जगहों पर हमेशा शरीर और चेहरे को मोटे कपड़े से ढक कर रखने का आदेश दिया गया है।
इन कानूनों को तालिबान के सुप्रीम लीडर मुल्ला हिबातुल्लाह अखंदजादा ने मंजूरी दे दी है। जानकारी के मुताबिक, इन कानूनों को हलाल और हराम की 2 कैटगिरी में बांटा गया है।
वहीं तालिबान के इस फैसले की संयुक्त राष्ट्र संघ ने कड़ी निंदा की है। साथ ही कई मानवधिकार संगठनों ने भी इसे लेकर आपत्ति जताई है।
महिलाओं की आवाज से पुरुषों का भटक सकता है मन
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तालिबान ने इन कानूनों की वजह देते हुए कहा कि महिलाओं की आवाज से भी पुरुषों का मन भटक सकता है। इससे बचने के लिए महिलाओं को सार्वजनिक जगहों पर बोलने से पहरेज करना चाहिए। तालिबान ने महिलाओं के घर में गाने और तेज आवाज में पढ़ने से भी मना किया है। जिन महिलाओं या लड़कियों को नए कानूनों तोड़ने का दोषी पाया जाएगा, उन्हें कड़ी सजा दी जाएगी।
पुरुषों के लिए भी लगा ये बैन
तालिबान ने इस बार महिलाओं के अलावा पुरुषों पर भी कुछ बैन लगाए हैं। पुरुषों को भी घर से बाहर निकलते समय घुटनों तक अपने शरीर को ढंकना होगा।
समलैंगिक संबंध बनाने पर कोड़े की सजा
जानकारी मतुबाकि, इस साल जून में तालिबान ने समलैंगिक (Homosexuality) संबंध बनाने के आरोप में 63 लोगों की कोड़े मारकर पिटाई की थी। जिसमें 14 महिलाएं भी शामिल थी। इन लोगों को Homosexuality, चोरी और अनैतिक संबंध बनाने का दोषी पाया गया था।
तालिबान समलैंगिकता (Homosexuality) को इस्लाम के खिलाफ मानता है। उसने सरी पुल प्रांत में स्टेडियम में पहले लोगों को इकट्ठा किया था फिर आरोपी को कोड़े मारे। तालिबान लोगों को इस्लाम के रास्ते पर चलने को कहता है। साथ ही लोगों से ऐसा न करने पर सजा भुगतने की धमकी देता है। संयुक्त राष्ट्र ने इस सजा की निंदा करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार नियमों के खिलाफ बताया था।