प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने बुधवार सुबह चंडीगढ़ में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी वरुण रूजम के घर पर छापेमारी की है। वह पंजाब के उत्पाद शुल्क और कराधान आयुक्त हैं। सूत्रों के मुताबिक ये छापेमारी अमरूद बाग घोटाला मामले में हुई है। ट्रिब्यून इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली से आई ईडी की एक टीम ने फिरोजपुर के डीसी राजेश धीमान और ईडी के अकाउंटेंट के पटियाला स्थित आवास पर भी एक साथ छापेमारी की है। ईडी के अकाउंटेंट की पत्नी भी मामले में आरोपी है।
ये है अमरूद घोटाला
अमरूद घोटाला 130 करोड़ रुपये से अधिक के गबन से जुड़ा है। कुछ लोगों ने अधिक मुआवजे के लिए ग्रेटर मोहाली एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMADA) द्वारा अधिग्रहण की जाने वाली जमीन पर अधिक घनत्व में अमरूद के पेड़ लगाए थे। ताकि फलदार वृक्ष वाली जमीन का मुआवजा ऊंची दर पर मिल सके। आरोप है कि जिन लोगों ने जमीन पट्टे पर ली, उन लोगों ने प्रति एकड़ 2,000 से 2,500 पेड़ दिखाए, जो पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की प्रति एकड़ 132 पेड़ों की सिफारिश से कहीं ज्यादा थी।
पिछले साल मई में, पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने बागवानी विभाग, राजस्व विभाग और GMADA के अधिकारियों की कुछ लोगों के साथ मिलीभगत से जुड़े 'अमरूद बाग मुआवजा' घोटाले का पर्दाफाश किया था। मामले में अब तक 20 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। मामले में बागवानी विकास अधिकारी जसप्रीत सिंह सिद्धू भी आरोपी हैं, जो पिछली अकाली-भाजपा सरकार में एक शक्तिशाली मंत्री के ओएसडी रह चुके हैं।
घोटाले की जड़ें मोहाली के पास बाकरपुर गांव से जुड़ी हैं। आरोप है कि 2016-17 के दौरान सरकार और GMADA अधिकारियों के करीबी लोगों ने आगामी भूमि अधिग्रहण योजना की जानकारी हासिल कर पहले योजनाबद्ध तरीके से जमीन खरीदी फिर मुआवजा बढ़ाने के मकसद से उच्च घनत्व में अमरूद के पेड़ लगाए। साजिशकर्ताओं ने रिकॉर्ड में हेरफेर करते हुए दावा किया कि ये पेड़ 2016 में ही लगाए गए थे, जबकि वे वास्तव में 2018 में लगाए गए थे, और अवैध मुआवजे के रूप में सांठगांठ कर करोड़ों रुपये हासिल कर लिए।