अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह चल रहा है। जिसकी गुंज पूरे देश में तो है ही लेकिन दूसरे देशों में भी है। दुनिया के तमाम बड़े अखबारों में राम मंदिर और प्रधानमंत्री मोदी को लेकर लेख छप रहे हैं। तो आइए देखते हैं कि दूसरे देशों के अखबारों ने क्या लिखा है।
Washington Post के अनुसार
अमेरिका का डेली न्यूज पेपर वॉशिंगटन पोस्ट है। इसमें लिखा गया है कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को दशकों पुरानी हिंदू राष्ट्रवादी प्रतिज्ञा को पूरा करेगी। अप्रैल या मई में होने वाले लोकसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं के बीच इसकी गूंज सुनाई देने की उम्मीद है।
अखबार में लिखा गया कि लोकसभा चुनावों से पहले भारत के सबसे विवादास्पद धार्मिक स्थलों में से एक मंदिर के उद्घाटन से मोदी को बड़ी तेजी मिलने की उम्मीद है। क्योंकि वह हिंदुओं जिनकी आबादी लगभग 80 प्रतिशत है। उनकी धार्मिक भावानाओं के आधार पर अपनी सत्ता को रिकॉर्ड लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए बढ़ाना चाहते हैं।
Time Magazine की स्पेशल स्टोरी
टाइम मैग्जीन की स्पेशल स्टोरी के मुताबिक 16 वीं सदी की मस्जिद के खंडहरों के ऊपर राम मंदिर का विवादस्पद उद्घाटन मोदी, उनकी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और हिंदू राष्ट्रवादी समूहों का तीन दशक पुराना वादा है और यह भारतीयों पर हिंदू वर्चस्व का अब तक का सबसे बड़ा राजनीतिक प्रमाण है।
बाबरी मस्जिद से जोड़कर हिंदू राष्ट्रवाद को भड़काने से भाजपा को फायदा हुआ और 2014 में अधिक बहुलवादी भारतीय कांग्रेस पार्टी को हटाकर सत्ता में आ गई। इसके बाद भाजपा ने लोकतांत्रिक भारत को हिंदू वर्चस्ववादी राज्य में बदलना शुरू कर दिया। 2019 में भाजपा की दूसरी राष्ट्रीय जीत के बाद, भारत के सुप्रीम कोर्ट- जिसकी स्वायत्तता को मोदी सरकार ने कम कर दिया है, ने अपना अंतिम निर्णय जारी किया जिसने बाबरी मस्जिद स्थल के भाग्य का फैसला किया।
अदालत ने मस्जिद के विध्वंस को कानून के शासन का घोर उल्लंघन कहा लेकिन फिर भी फैसला सुनाया कि मस्जिद के मलबे पर राम मंदिर बनाया जा सकता है। मोदी ने अगस्त 2020 में एक भूमि पूजन समारोह में मंदिर की आधारशिला रखी, और अपने हिंदू राष्ट्रवादी साथियों से घिरे अयोध्या मंदिर का अभिषेक करके भाजपा और अन्य हिंदू वर्चस्ववादियों ने 30 साल पहले जो शुरू किया था, उसे पूरा करेंगे।
DAWN
पाकिस्तान के सबसे बड़े अखबार डॉन ने लिखा कि सितारों से सजे इस कार्यक्रम में लोकप्रिय फिल्म अभिनेताओं, क्रिकेटरों और प्रमुख उद्योगपतियों के अयोध्या पहुंचने की उम्मीद है. हालांकि, पहले जिसे बहुसांस्कृतिक सभ्यता का केंद्र माना जाता था उस अयोध्या के मुस्लिम निवासियों का कहना है कि हिंसा के डर से उन्होंने अपने बच्चों और महिलाओं को पड़ोसी शहरों में रिश्तेदारों के पास भेज दिया है।
स्थानीय मुस्लिम संगठन ने प्रशासन को याचिका दी है। उनकी मांग है कि बड़ी मुस्लिम आबादी वाले इलाकों के साथ-साथ अयोध्या के अन्य हिस्सों में कड़ी सुरक्षा और निगरानी हो, जहां 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस और सांप्रदायिक हिंसा देखी गई थी।
Guardian
अप्रैल महीने तक भारत में चुनाव होने हैं। जिसमें मोदी और उनकी भाजपा, सरकार में तीसरी बार सत्ता में आने की कोशिश करेगी। मंदिर के उद्घाटन समारोह को, कुछ विश्लेषकों ने उनके चुनाव अभियान की अनौपचारिक शुरुआत के तौर पर बताया है। भाजपा का चुनावी एजेंडा हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं पर भारी पड़ने की संभावना है, जो भारत की आबादी का 80% हिस्सा है।
इस दौरान मोदी की धार्मिक भावनाएं सार्वजनिक हुईं। प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि भगवान ने उन्हें सभी भारतीयों के प्रतिनिधि होने के लिए एक साधन के रूप में चुना और उन्होंने इसकी तैयारी के लिए 11 दिनों की कठोर प्रतिज्ञा और बलिदान शुरू कर दिया था।
2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से राम मंदिर के साथ सरकार की निकटता को संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता से दूर होते देखा जा रहा है. और साथ ही देश को हिंदू राष्ट्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में आंदोलन के रूप में भी देखा जा रहा है।
Reuters
अयोध्या में राम मंदिर में शिलान्यास समारोह को मुस्लिम और औपनिवेशिक शक्तियों ने सदियों की अधीनता के बाद हिंदू जागृति के तौर पर देखा जा रहा है। इसे मई में होने वाले आम चुनावों के लिए मोदी के चुनाव अभियान की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है।