इस साल शारदीय नवरात्र 15 अक्तूबर से शुरू हो रहे हैं। नवरात्र पर देवी दुर्गा का आगमन हाथी पर हो रहा है। इसके साथ ही मां का हाथी पर आगमन शुभ फलदायी होता है। इस बार खास बात यह है कि नवरात्र पूरे नौ दिन के हैं। यानी कोई तिथि घट या बढ़ नहीं रही है। श्रद्धालु नौ दिन तक माता की भक्ति भाव से पूजा अर्चना कर सकेंगे।
नवरात्र में देवी किस वाहन पर सवार होकर आएंगी, इसके दिन तय हैं। देवी भागवत में इस संबंध में एक श्लोक है—
शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।
गुरौ शुक्रे दोलायां बुधे नौका प्रकीर्तिता॥
शारदीय नवरात्र में देवी किस वाहन पर सवार होकर आ रही हैं, इससे ही शुभ-अशुभ फल तय होते हैं।
हाथी वाहन का महत्व
देवी भागवत के उपर्युक्त श्लोक के मुताबिक रविवार या सोमवार के दिन कलश की स्थापना होने पर देवी दुर्गा अपने वाहन हाथी पर सवार होकर आती हैं। हाथी पर सवार होकर देवी का आना अति शुभ होता है। यह अच्छी वर्षा का प्रतीक है। इसके साथ ही मेहनत करने वालों को उनकी मेहनत का फल और मां की कृपा प्राप्त होती है।
वहीं अगर शनिवार या मंगलवार के दिन नवरात्र शुरू होते है तो माता का वाहन घोड़ा होता है। मां दुर्गा का घोड़े पर आना सत्ता परिवर्तन या युद्ध का प्रतीक है।
गुरुवार या शुक्रवार के दिन नवरात्र शुरू हों तो देवी पालकी में बैठकर आती हैं। ये अशुभ होता है। इससे महामारी, दंगे, और जन हानि जैसी स्थितियां पैदा होती हैं।
बुधवार के दिन नवरात्र की शुरुआत हो तो देवी दुर्गा नांव पर सवार होकर आती हैं। देवी का नांव पर आगमन हर प्रकार से फायदेमंद होता है। सभी कष्ट दूर होने के साथ-साथ सभी इच्छा पूरी होती हैं, इसके साथ ही भरपूर बारिश और अच्छी फसल होती है।
माता की विदाई
ये स्वाभाविक है कि जब देवी का आगमन होगा, तो देवी की विदाई भी होगी। माता की विदाई दशमी को होती है। अगर रविवार या सोमवार हो तो माता भैंसे पर सवार होकर जाती हैं। लेकिन इसका प्रभाव देश पर अशुभ होता है। यह दुःख, रोग और शोक जैसे हालात बनाता है।
शनिवार या मंगलवार के दिन दशमी होने पर देवी की सवारी मुर्गा होती है। इसके अशुभ फल होते हैं। इससे दुखों और कष्टों में वृद्धि होती है।
इसके साथ ही अगर विदाई बुधवार या शुक्रवार के दिन हो तो देवी दुर्गा हाथी पर सवार होकर जाती हैं। यह शुभ माना जाता है। इसका अर्थ है कि आपको आपके अच्छे कार्यों का फल मिलेगा।
बृहस्पतिवार के दिन दशमी हो तो देवी दुर्गा की सवारी मनुष्य होती है। यह शुभ फलदायक होती है। इससे देश में चारों तरफ सुख-शांति,समृद्धि बनी रहती है।
शारदीय नवरात्रि 2023 (Shardiya Navratri 2023)
- 15 अक्टूबर - मां शैलपुत्री की पूजा
- 16 अक्टूबर - मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
- 17 अक्टूबर - मां चंद्रघंटा की पूजा
- 18 अक्टूबर - मां कूष्मांडा की पूजा
- 19 अक्टूबर - मां स्कंदमाता की पूजा
- 20 अक्टूबर - मां कात्यायनी की पूजा
- 21 अक्टूबर - मां कालरात्रि की पूजा
- 22 अक्टूबर - मां सिद्धिदात्री की पूजा
- 23 अक्टूबर - मां महागौरी की पूजा
- 24 अक्टूबर - विजयदशमी (दशहरा)