उत्तराखंड में स्थित चारों धामों में से एक बद्रीनाथ मंदिर के पवित्र कपाट 4 मई को सुबह 6 बजे श्रद्धालुओं के लिए खुलेंगे। बसंत पंचमी पर नरेंद्र नगर में पूर्व टिहरी राज दरबार में विशेष पूजा-अर्चना के बाद मंदिर के कपाट खुलने का समय तय किया गया। गणेश पंचांग और चौकी पूजन के बाद राज पुरोहित आचार्य कृष्ण प्रसाद उनियाल ने बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खुलने की तिथि तय की।
बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने और बंद होने की एक विशेष प्रक्रिया है। बता दें कि बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि बसंत पंचमी पर टिहरी जनपद के नरेंद्रनगर स्थित राजदरबार में तय होती है।
चारधाम यात्रा का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में चारधाम यात्रा को बहुत जरूरी माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, चारों धाम की यात्रा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी कारण हिंदू धर्म से जुड़ा हर एक व्यक्ति कभी न कभी चारधाम की यात्रा पर जाना चाहता है। हिंदू धर्म के ये खास महत्वपूर्ण चारधाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री उत्तराखंड में स्थित हैं। हिंदू धर्म में दो तरह की चार धामयात्रा की जाती है। एक बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा और दूसरी बद्रीनाथ, जगन्नाथ, रामेश्वर और द्वारका धाम की यात्रा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बद्रीनाथ धाम को सृष्टि का आठवां वैकुंठ भी कहा जाता है। यहां भगवान विष्णु छह महीने विश्राम करने के लिए आते हैं। साथ ही केदारनाथ धाम में भगवान शंकर विश्राम करते हैं। केदारनाथ में दो पर्वत हैं, जिन्हें नर और नारायण नाम से जाना जाता है। वह भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से हैं। माना यह भी जाता है कि केदारनाथ धाम के दर्शन के बाद ही बद्रीनाथ धाम के दर्शन किए जाते हैं। ऐसा करने से ही पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
चार धाम यात्रा से जुड़ी जरूरी बातें
चार धाम यात्रा का बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन जरूरी है।
आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, या पासपोर्ट जैसे जरूरी दस्तावेज यात्रा में अपने साथ ले जाएं।