तेरी बातों में ऐसा उल्झा जिया 9 फरवरी को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। मूवी में शाहिद कपूर, कृति सेनन, धर्मेंद्र और डिंपल कपाड़िया लीड रोल में हैं। फिल्म का निर्देशन अमित जोशी और आराधना शाह ने किया है। आइए जानते हैं तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया इन दोनों कलाकारों के लिए क्या चमत्कार करेगी और कैसी है फिल्म। पढ़ें मूवी रिव्यू।।।
स्टोरी
शाहिद कपूर और कृति सेनन की 'तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया' की कहानी एक रोबोट की है। ये रोबोट कृति सेनन है और शाहिद कपूर को इससे प्यार हो जाता है। फिर शाहिद कपूर अपने रिश्ते को आगे बढ़ाने के लिए इसे अपनी फैमिली के पास लेकर जाता है। वो नहीं जानते कि वो एक रोबोट है। इस तरह कई कन्फ्यूजन होती है और कमजोर वनलाइनर्स के जरिये हंसाने की कोशिश की जाती है। फर्स्ट हाफ जैसे तैसे कट जाता है लेकिन दूसरे हाफ में देखने वाला ही हांफने लग जाता है। कुल मिलाकर कमजोर कहानी के जरिये फिल्म को बढ़ाने की कोशिश की गई। लेकिन यह फिल्म कहीं नहीं जाती है और अंत आते-आते दिमाग की बत्ती बुझा देती है।
डायरेक्शन
'तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया' के डायरेक्शन की बात करें अमित जोशी और आराधना शाह ने एक प्रासंगिक विषय को चुना लेकिन उसमें सही से रंग नहीं भर पाए। डायरेक्शन भी काफी औसत रहा है। सबसे बड़ी बात फिल्म की स्क्रिप्ट काफी कमजोर रही।
एक्टिंग
'तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया' एक्टिंग के मामले भी बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं जगाती है। कृति सेनन ने काफी कोशिश की है, सिफरा के किरदार को निभाने की। लेकिन वह कुछ भी यादगार नहीं कर पाती हैं। शाहिद कपूर इस कैरेक्टर में जमते नहीं हैं और एक्टिंग के मामले में कहीं-कहीं आउट हो जाते हैं। इस तरह जिस तरह की केमेस्ट्री की उम्मीद शाहिद-कृति से थी, वह देखने को नहीं मिलती है।
शाहिद-कृति सेनन की फिल्म की कहानी कमजोर है। स्क्रिप्ट के मोर्चे पर भी मूवी पूरी तरह निराश करती है। डायरेक्शन भी औसत है। वहीं लीड स्टार्स की कैमेस्ट्री रंग जमाने में नाकाम रही है। एक्टिंग देखकर भी निराशा हाथ लगती है। कुल मिलाकर तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया ऐसी फिल्म है जो दिमाग की बत्ती बुझा देती है और इतना थका देती है कि सोचने समझने की बैटरी डाउन कर देती है।