दिवंगत एक्टर सतीश कौशिक की फिल्म 'कागज 2' सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। इसके डायरेक्टर वीके प्रकाश हैं। अनुपम खेर, सतीश कौशिक, नीना गुप्ता, स्मृति कालरा और दर्शन कुमार जैसे एक्टर्स फिल्म में मुख्य भूमिका में हैं। यह फिल्म ऐसे मुद्दे पर है, जिसकी वजह से आम लोगों को काफी तकलीफें झेलनी पड़ती हैं। कई बातें सिर्फ कागजों पर ही रह जाती हैं, जिसपर कोई एक्शन नहीं होता। आज हम इस फिल्म का रिव्यू करेंगे।
फिल्म की कहानी
'कागज 2' की कहानी सीतापुर के एक कॉमन मैन और उसकी यूपीएससी टॉपर बेटी के बारे में हैं। इस फिल्म में सतीश कौशिक एक कॉमन मैन, रस्तोगी (किरदार का नाम) का रोल निभा रहे हैं। फिल्म की कहानी में मोड़ तब आता है जब उनकी यूपीएससी टॉपर बेटी टेबल से फिसलकर गिर जाती है। उसके सिर में चोट लग जाती है। उसके पिता उसे हॉस्पिटल लेकर जाते हैं। हालांकि, उसी वक्त शहर में पॉलिटिशियन केपी देवरंजन (अनंग देसाई) की रैली निकली होती है। उस रैली की वजह से सतीश कौशिक अपनी बेटी के साथ, शहर के मेन चौक पर फंस जाते हैं। उनकी गाड़ी न तो आगे जा सकती है और न ही पीछे।
रैली खत्म होते ही सतीश अपनी बेटी को लेकर अस्पताल पहुंचते हैं। हालांकि, डॉक्टर उन्हें मृत घोषित कर देते है। डॉक्टर्स कहते हैं कि आप कुछ देर पहले आए होते तो हम इसकी जान बचा सकते थे।बेटी के निधन के बाद रस्तोगी का परिवार बिखर जाता है। उन्हें लॉयर राज नारायण (अनुपम खेर) और उनके बेटे उदय नारायण (दर्शन कुमार) न्याय दिलाते हैं। फिल्म में अनुपम खेर और दर्शन कुमार पिता-पुत्र की भूमिका में हैं। फिल्म का ज्यादातर हिस्सा अनुपम खेर, नीना गुप्ता और दर्शन कुमार के रिश्तों के इर्द-गिर्द भी घूमता है। फिल्म का स्लोगन है- अपने रास्ते बनाने के लिए दूसरों के रास्ते बंद मत करो। ये फिल्म, आए दिन प्रदर्शन और रैली करके आम जनों को परेशान करने वाले लोगों को सबक सिखाने के लिए है। जो अपने अधिकारों के बहाने दूसरों के अधिकार छीन रहे हैं। यह सत्य घटनाओं से प्रेरित है।
स्टारकास्ट की एक्टिंग
इस बात में कोई दो राय नहीं कि जब दो वेटरन एक्टर्स एक साथ स्क्रीन शेयर करें तो उसका जादू अलग ही नजर आता है। सतीश कौशिक और अनुपम खेर दोनों ही अपना बेस्ट देते नजर आए हैं। दोनों ही किरदारों की गहराई में इस हद तक उतर जाते हैं कि आप उनके स्टार कद को भूल जाते हैं। आप केवल उस किरदार को देख पाते हैं जो वे निभा रहे हैं। यहां तक कि अनंग देसाई भी राजनेता के किरदार में बिल्कुल फिट बैठते हैं। दर्शन कुमार की बात करें तो इस फिल्म में वे कैडेट उदय राज नारायण का किरदार निभा रहे हैं। फिल्म की शुरुआत उनकी आर्मी ट्रेनिंग से होती है। फिल्म का फर्स्ट हाफ दर्शन कुमार के इर्द-गिर्द ही घूमता है। उनका काम जबरदस्त है। इस फिल्म में वे सरप्राइज एलिमेंट हैं।
फिल्म का डायरेक्शन वीके प्रकाश ने किया है। डायरेक्शन में काफी खामियां हैं। पहले भाग में फिल्म का असली मुद्दा दूर-दूर तक समझ नहीं आता। कंफ्यूज न के साथ-साथ काफी बोरियत भी महसूस होती है। हालांकि, दूसरे भाग में असली मुद्दा उठाने पर कुछ-कुछ जगह डायरेक्टर इंटरेस्ट बनाने में कामयाब हुए।
फिल्म में कुल मिलाकर 4 गाने हैं। फिल्म का म्यूजिक तोशी साबरी, शारिब साबरी ने दिया है। सिंगर्स की लिस्ट में तोशी साबरी, विशाल मिश्रा, शारिब साबरी और सुखविंदर सिंह शामिल हैं। वैसे, फिल्म का कोई भी गाना अलग से सुनने लायक नहीं हैं। 'कागज 2' काफी कम बजट में बनाई गई है। कम बजट में आम आदमी से जुड़े अहम मुद्दे को स्क्रीन पर पेश करना सराहनीय है।
अगर आप पंकज त्रिपाठी स्टारर फिल्म 'कागज' जैसी उम्मीद लगाए थिएटर जा रहे हैं तो जरूर निराशा मिलेगी। यह फिल्म 'कागज' के स्टैंडर्ड को मैच नहीं करती। लेकिन हां, अगर आप इस हफ्ते फैमिली के साथ कोई फिल्म प्लान कर रहे हैं, तो इसके लिए जरूर एक बार जा सकते हैं। फिल्म में कॉमन मैन के स्ट्रगल को दर्शाने की कोशिश की गई है।