खबरिस्तान नेटवर्क: उत्तराखंड में 30 अप्रैल से चारधाम यात्रा शुरू होने जा रही है। इस यात्रा के शुरू होने से पहले ही लाखों यात्रियों ने इसके लिए पंजीकरण करा लिया है। जानकारी के अनुसार, अब तक चार धाम यात्रा के लिए 19 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने पंजीकरण कराया है।
यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के लिए 3 लाख से अधिक लोगों ने पंजीकरण कराया है, जबकि केदारनाथ के लिए सबसे अधिक पंजीकरण हुए हैं। इतना ही नहीं, श्री हेमकुंट साहिब के दर्शन के लिए 32 हजार से अधिक लोगों ने पंजीकरण भी करा लिया है। चारधाम यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में अभी से उत्साह देखा जा रहा है।
VIP दर्शन की व्यवस्था भी खत्म
इसके साथ ही इस बार पैसे देकर VIP दर्शन की व्यवस्था भी खत्म कर दी गई है। बद्रीनाथ धाम के पंडा पंचायत के कोषाध्यक्ष अशोक टोडरिया ने कहा कि भगवान की मर्यादा के खिलाफ पैसे लेकर दर्शन करवाना गलत है। चारधाम यात्रा में श्रद्धालु पूरी श्रद्धा से आकर दर्शन करेंगे, और यात्रा को बेहतर बनाने के लिए प्रशासन ने सभी तैयारिया पूरी कर ली हैं।
चारधाम यात्रा 30 अप्रैल से शुरू
सबसे पहले 30 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खोले जाएंगे।
इसके बाद 2 मई को केदारनाथ धाम के कपाट खुलेंगे।
चारधाम यात्रा का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में चारधाम यात्रा को बहुत जरूरी माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, चारों धाम की यात्रा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी कारण हिंदू धर्म से जुड़ा हर एक व्यक्ति कभी न कभी चारधाम की यात्रा पर जाना चाहता है। हिंदू धर्म के ये खास महत्वपूर्ण चारधाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री उत्तराखंड में स्थित हैं। हिंदू धर्म में दो तरह की चार धामयात्रा की जाती है। एक बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा और दूसरी बद्रीनाथ, जगन्नाथ, रामेश्वर और द्वारका धाम की यात्रा।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बद्रीनाथ धाम को सृष्टि का आठवां वैकुंठ भी कहा जाता है। यहां भगवान विष्णु छह महीने विश्राम करने के लिए आते हैं। साथ ही केदारनाथ धाम में भगवान शंकर विश्राम करते हैं। केदारनाथ में दो पर्वत हैं, जिन्हें नर और नारायण नाम से जाना जाता है। वह भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से हैं। माना यह भी जाता है कि केदारनाथ धाम के दर्शन के बाद ही बद्रीनाथ धाम के दर्शन किए जाते हैं। ऐसा करने से ही पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है।