Shani Dev is the giver of fruits of deeds and the god of justice : शनि मनुष्य के कर्मों का फल देने वाले देव माने जाते हैं। शनि को न्याय और दंड विधान का भी देवता कहते हैं। शनिदेव किसी को भी उनके कर्मो के अनुसार उनके साथ न्याय कर सकते है और उन्हें दण्डित कर सकते है, चाहे वे देवता हो या असुर, मनुष्य हो या कोई अन्य प्राणी। जी हां, मनुष्य के कर्म, अब वो अच्छे भी हो सकते हैं और खराब भी। इसी कारण से मान्यता है कि जिसकी कुंडली में शनि की वक्र दृष्टि होती है, उन्हें शनि के प्रकोप से भारी खतरा रहता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि शनि का अर्थ केवल अशुभ होता है, कुछ जातकों की कुंडली में शनिदेव की उपस्थिति उन्हें लाभ भी पहुंचाती है। माना जाता है कि शनि बहुत जल्दी रुष्ट होने वाले देवता है। शनि की दशा आने पर जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं। शनि प्रायः किसी को क्षति नहीं पहुंचाते हैं। यहां पर हम शनिदेव के बारे में प्रचलित मान्यताओं और कथाओं के बारे में आपको बता रहे हैं।
शनि इन देवताओं से रहते हैं भयाक्रांत
देवों के देव शिव से भी डरते हैं शनि
कहा जाता है कि शनि देवों के देव महादेव से भी बहुत भय खाते हैं जबकि उन्हें शनि का गुरु भी माना जाता है। कहा जाता हैं कि एक बार शनि की कुदृष्टि के कारण भगवान शिव को हाथी के वेष में भटकना पड़ा था। जिस वजह से महादेव ने क्रोधित होकर शनि से कहा था कि तुम अपनी वक्र दृष्टि कभी मेरे भक्तों पर नहीं डालोगे। तब से शनिदेव भगवान शिव से डरते हैं और शिव के भक्तों से अपना प्रभाव दूर रखते हैं।
हनुमान जी से भय खाते हैं शनि
शनि को शिव के रुद्रावतार हनुमान जी भी डर लगता है। मान्यता है कि संकटमोचन हनुमान की आराधना से शनि की दृष्टि भक्त पर नहीं पड़ती है। हर शनिवार को हनुमान जी की पूजा-अर्चना और दर्शन किए जाए तो शनि का प्रकोप खत्म हो जाता है। शनिदेव कभी हनुमान भक्तों को परेशान नहीं करते हैं।
मधुसूदन से डरते हैं शनि महाराज
मान्यता है कि श्रीकृष्ण शनि महाराज के इष्ट देवता हैं। श्रीकृष्ण के दर्शन पाने के लिए शनि महाराज ने कोकिला वन में तपस्या की थी। इसी वन में भगवान कृष्ण ने शनिदेव को कोयल के रूप में दर्शन दिए थे। तब शनिदेव ने कहा था कि वह किसी भी कृष्णभक्त को परेशान नहीं करेंगे।
पीपल के वृक्ष से शनि खाते हैं भय
शनि को पीपल के पेड़ से डर लगता है। इसलिए कहा जाता है कि जो भी भक्त पिप्लाद मुनि के नाम का जाप करता है। उससे शनि सदैव दूर रहते हैं। इसलिए हर शनिवार को पीपल की जड में जल का अर्पण करना चाहिए और जड़ में तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
कुंडली में साढ़ेसाती या ढैय्या का असर
मान्यता है कि अगर मनुष्य की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या है तो उसे शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती है। कहा जाता है कि शनि अनिष्टकारक, अशुभ और दुःख दाता हैं, पर वास्तव में ऐसा नहीं है। मनुष्य के जीवन में शनि सकारात्मक प्रभाव भी डालते हैं। शनि संतुलन एवं न्याय के ग्रह हैं। शनि सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह हैं। चूंकि यह में बड़े हैं इसलिए शनि को एक राशि भ्रमण करने में ढैय्या वर्ष और 12 राशियों का भ्रमण करने में लगभग 30 वर्ष का समय लगाता है।
धर्म, कर्म और न्याय के प्रतीक
गतिशीलता में कमी के कारण शनि अपने पिता सूर्य से अत्यधिक दूरी पर रहते हैं। इसलिए इसे अंधकारमयी, विद्याहीन, भावहीन, उत्साह हीन, नीच, निर्दयी, अभावग्रस्त माना जाता है लेकिन बावजूद उसके शनि विशेष परिस्थितियों में अर्थ, धर्म, कर्म और न्याय के प्रतीक माने जाते हैं और सुख-संपत्ति, वैभव और मोक्ष भी देते हैं।
ऐश्वर्य धन तथा चक्रवति सम्राट
शनि का प्रभाव व निवास मुख्य रूप से तेल व लौह में होता है, अतः जीवन में कभी भी तेल निशुल्क (फ्री) में ना लें और ना तेल की कीमत से कम पैसे देने चाहिए, भूलकर भी तेल के पैसे नहीं खाना चाहिए और ना ही मुल्य से कम पैसे देने चाहिए। हर मनुष्य के जीवन में कभी न कभी शनि का प्रभाव पड़ता है, यही ग्रह है जो आप को राजा बना सकता है यही है जो आप को ऐश्वर्य धन तथा चक्रवति सम्राट तक बना सकता है और यही शनि आप को, निर्धन (राजा से फकीर) बना देता है।
शनि के प्रभाव को शांत करने के उपाय
तिल के तेल का ही इस्तेमाल करें
जिनकी कुंडली में शनि का प्रभाव है, उन्हें तिल का तेल चढ़ाना चाहिए। हमारे शास्त्रों में भी तिल को श्रेष्ठ कहा गया है। इसिलए किसी भी कार्य सिद्ध करने के लिए तिल का तेल ही इस्तेमाल किया जाता है। शनिवार को काले वस्त्र दान देना चाहिए। शनिवार के दिन लोहे का त्रिशूल काल भैरव मंदिर में अर्पित करना चाहिए।
शनिवार काे काला तिल दान करें
आर्थिक वृद्धि के लिए शनिवार के दिन काला तिल दान करें। हनुमान जी के मंदिर में शनिवार के दिन दीपक जलाएं। शनिवार के दिन तिल के तेल का छाया दान करें। शनिवार को काली उड़द की आटे की गोलियां मछलियों को खिलाएं। शनिवार को चीटिंयों को शक्कर खिलाएं। शनिवार के दिन हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करें। शनिवार को महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।