ख़बरिस्तान नेटवर्क : विधायक रमन अरोड़ा के करप्शन केस में नया नाम उनके साढू राजन कपूर का जुड़ गया है। विजिलेंस को रमन अरोड़ा के विधायक बनने के बाद उनके साढू की फर्म का बिजनेस बढ़ने पर शंका जताई है। विजिलेंस जांच में पता चला है कि 2021-22 में उनका बिजनेस मात्र 39 लाख था, लेकिन जब रमन अरोड़ा विधायक बने तो उसका ग्राफ तेजी से बढ़ा है। विजिलेंस जांच में विधायक के परिवार से समधी, बेटा और अब साढू विजिलेंस के राडार पर आ गया है।
बेटे राजन अरोड़ा की जमानत बीते दिन कोर्ट से रद्द हो चुकी है। समधी राजू मदान फिल्हाल फरार हैं। साढू राजन कपूर की फर्म की विजिलेंस जांच कर रही है। राजन अरोड़ा और राजू मदान की गिरफ्तारी के बाद विधायक रमन अरोड़ा की मुसीबतें और बढ़ सकती हैं। बीते दिन राजन अरोड़ा की एंटीसिपेट्री बेल पर एडिशनल सेशन जज जसविंदर सिंह की कोर्ट में शुक्रवार को बहस हुई। कोर्ट ने राजन की एंटीसिपेट्री बेल रिजेक्ट कर दी। एटीपी सुखदेव वशिष्ठ की रेगुलर बेल भी रिजेक्ट की गई है।
सूरत से आई एंट्री पर सवाल
बीते दिन कोर्ट में विजिलेंस ने बताया कि राजन अरोड़ा को बीते साल 21 मार्च को सूरत की काया ट्रेडर्स की ओर से 60 लाख रुपए भेजे गए हैं। विजिलेंस इस एंट्री की डिटेल जानना चाहती है। उन्हें लगता है कि ये पैसा घुमाया गया है। अब काया ट्रेडर्स के मालिक से भी पूछताछ होगी। विजिलेंस का के वकील के मुताबिक आरोपी बेहद शातिर है। इसलिए कस्टडी में पूछताछ की जरूरत है। बचाव पक्ष ने इसे बिजनेस ट्रांजेक्शन बताया है। उनके मुताबिक राजन अरोड़ा की फर्म बालाजी टेक्सटाइल ने सूरत की उक्त कंपनी से बैंक ट्रांजेक्शन के जरिये 60 लाख रुपए उधार लिए थे। तीन बार में 40 लाख बैंक ट्रांजेक्शन के जरिये लौटा चुके हैं।
बेटा देखता था निगम का काम
विधायक रमन अरोड़ा खुद अपनी स्टेटमेंट में कह चुके हैं कि उनका बेटा ही नगर निगम का कामकाज देखता था। नगर निगम से करप्शन का खेल शुरू हुआ था। आरोप है कि रमन अरोड़ा झूठे नोटिस भिजवाता और फिर अफसरों की मदद से प्रेशर बनवाता। जब लोग उनके पास आते तो वह पैसे लेकर बेटे को पार्टी के साथ भेजता था। निगम में बेटा राजन जिस पार्टी के साथ जाता था अफसर उसका काम कर देते थे।
विजिलेंस को साढू पर शक
बीते दिन राजन अरोड़ा की जमानत की सुनवाई के दौरान प्रॉसीक्यूशन ने विजिलेंस से जांच में आए एक अहम खुलासे को लेकर बताया था कि विधायक रमन अरोड़ा के साढू राजन कपूर की फर्म है जगदंबे फैशन। विजिलेंस ने उनके फर्म के कारोबार की जांच की तो पता चला कि 2021-22 में उनका कारोबार मात्र 39 लाख का था, लेकिन जब रमन अरोड़ा विधायक बने तो उनके बिजनेस में बड़ा जंप आया।2022-23 में करीब 10 करोड़ तो 2023-24 में कारोबार करीब 12 करोड़ तक पहुंच गया। इसलिए राजन से इस एंगल पर भी पूछताछ करनी है। विजिलेंस को विधायक के सांदू के बिजनेस पर शक है।
एटीपी से हुई थी शुरुआत
विजिलेंस ने 14 मई को पहली गिरफ्तारी एटीपी सुखदेव वशिष्ठ के तौर पर की थी। इसके बाद विधायक रमन अरोड़ा फिर निगम की महिला इंस्पेक्टर हरप्रीत कौर और आखिर में महेश मखीजा को गिरफ्तार किया गया था। फिल्हाल चारो जेल में हैं। एटीपी के घर से विजिलेंस करीब डेढ़ किलो सोने के गहने और विधायक के घर से 6,30,245 रुपए और 1200 ग्राम सोने के जेवर मिले थे। मखीजा से 36 लाख कैश मिला था। अब तक विजिलेंस केस में 42,30,245 रुपए, एक थार और 2 किलो 700 ग्राम सोने के जेवर बरामद कर चुकी है।
बेटा और समधी कर सकते हैं सरेंडर
जमानत न मिलने के बाद विधायक रमन अरोड़ा का बेटा राजन अरोड़ा और समधी राजू मदान सरेंडर कर सकते हैं। क्योंकि राजन को कोर्ट से जमानत नहीं मिली है। भ्रष्टाचार के केस में अग्रिम जमानत न मिलने के बाद राजन अरोड़ा के सरेंडर के लिए दबाव बन गया है। दोनों की गिरफ्तारी होती है या सरेंडर। इतना तय है कि दोनों की गिरफ्तारी के बाद इस मामले के सारे सवालों के जवाब मिलेंगे।