Know the Big Myths related to Ramadan and Their Truth : रमजान का पाक महीना इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार नौवां महीना होता है। रमज़ान अल्लाह को खुश करने और माफी मांगने के बारे में है। इसे माह-ए-रमजान भी कहा जाता है। रमजान का पवित्र महीना शुरू हो चुका है। इस महीने में दुनिया भर के सभी मुसलमान सुबह से शाम तक रोजा रखते हैं। यह महीना चांद को देखकर निर्धारित किया जाता है। यह आशीर्वाद, विनम्रता, खुशी और कृतज्ञता का महीना है। रमजान के दौरान रोज़े रखना सभी मुसलमानों के लिए अनिवार्य माना जाता है। हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियों में मुसलमान रोज़ा न रखने का विकल्प चुन सकते हैं। रमजान के रोजों को लेकर लोगों में कई गलतफहमियां हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में...
मिथक : रमजान का मतलब सिर्फ खाने-पीने से परहेज
सच्चाई : रमजान का मतलब सिर्फ खाने-पीने से परहेज करना नहीं है। यह पापों, गलत व्यवहार, गलत काम, शारीरिक संबंध, धूम्रपान और बहुत कुछ से दूर रहने के बारे में है। रमजान के रोजे रखने का उद्देश्य खुद पर नियंत्रण रखना है। अगर आप सिर्फ खाने-पीने से परहेज करते हैं लेकिन बुरी आदतें नहीं छोड़ते हैं तो रोजे रखने का कोई मतलब नहीं है।
मिथक : रमजान के रोजे हर किसी के लिए अनिवार्य हैं
सच्चाई : वैसे तो रमजान के रोजे सभी मुसलमानों के लिए अनिवार्य हैं, लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्हें रोजे से छूट दी गई है। जैसे गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाएं, बूढ़े और बीमार लोग, डायबिटीज और हार्ट पेशेंट, मासिक धर्म वाली महिलाएं,वे लोग जो जरूरी कारणों से यात्रा कर रहे हैं।
मिथक : रमजान रोजे रखना सेहत के लिए हानिकारक
सच्चाई : इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि व्रत रखना स्वस्थ लोगों के लिए ठीक नहीं है। केवल किसी पुरानी बीमारी वाले लोगों को ही रोजे रखने से बचना चाहिए।
मिथक : रमज़ान की तारीख एक होती है, बदलती नहीं
सच्चाई : मुसलमानों के सभी त्यौहार चांद पर आधारित होते हैं। चूंकि मुसलमान लूनर कैलेंडर का पालन करते हैं, इसलिए हर साल रमज़ान का महीना 10 दिन पहले आता है। इसलिए ये कहना गलत है कि हर साल रमजान की तारीख एक ही होती है।
मिथक : रमजान में रोजे में ब्रश करने की अनुमति नहीं
सच्चाई : ब्रश करने से कभी भी रोजा नहीं टूटता है। रमजान में ब्रश करने पर परहेज नहीं है।
मिथक : रोजा में लार निगलने की भी अनुमति नहीं होती
सच्चाई : लार निगलना एक स्वभाविक प्रक्रिया है। रोजे के दौरान लार निगलने से रोजा नहीं टूटता है। रोजा आपको किसी भी बाहरी पदार्थ का सेवन करने से रोकता है, न कि किसी ऐसी चीज का जो पहले से मौजूद है।
मिथक : गलती से कुछ भी खा लेने से रोजा टूट जाता है
सच्चाई : गलती से खा लेने पर भी रोजा नहीं टूटता है। बशर्ते भूल हो जाने के बाद आप खाना बंद कर दें। अगर आपने गलती से कुछ खा लिया है तो आप कुल्ला कर सकते हैं और उपवास जारी रख सकते हैं।
मिथक : महज धूम्रपान करने से आपका रोजा नहीं टूटता
सच्चाई : जो लोग सोचते हैं कि धूम्रपान से रोज़ा नहीं टूटेगा, वे गलत हैं। सिगरेट, सिगार या वेप का कश लेते समय एलीमेंट्स पेट से होते हुए सीधे फेफड़ों तक पहुंचते हैं, इसलिए धूम्रपान करने से रोजा जरूर टूट जाता है। इस्लाम में धूम्रपान वर्जित है।
मिथक : रोजा रखने वालों को काम करने से बचना चाहिए
सच्चाई : रोजे में आराम करना अच्छा है क्योंकि इस तरह आप पवित्र कुरान और प्रार्थनाओं पर अपना ध्यान लगा सकते हैं। रमजान के दौरान काम करना या न करना पूरी तरह से एक व्यक्ति की पसंद है।
मिथक : सेहत के लिए इंजेक्शन लेने से रोजा टूट जाता है
सच्चाई : अगर इंजेक्शन लेना आपकी सेहत के लिए जरूरी है तो इससे रोजा नहीं टूटेगा। हालांकि, इंजेक्शन के जरिए ग्लूकोज लेने से रोजा टूट सकता है।
मिथक : रमज़ान में इत्र का प्रयोग करने की अनुमति नहीं
सच्चाई : परफ्यूम लगाने से आपका रोजा नहीं टूटता। परफ्यूम बाहरी शरीर पर लगाया जाता है। इसका रोजा टूटने से कोई लेना देना नहीं है।
मिथक : चोट लग जाए व खून बहने से रोजा टूट जाता है
सच्चाई : नहीं, ब्लीडिंग से आपका रोज़ा नहीं टूटता जब तक कि यह मासिक धर्म का खून न हो। अगर आपको चोट लग जाए और खून बहने लगे तो भी आप रोजा जारी रख सकते हैं।