पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा है कि पंजाब में नगर निगम और नगर परिषद चुनाव में देरी को क्यों हो रही है। सरकार को 14 अक्टूबर तक चुनाव का शेड्यूल जारी करने को कहा गया है। ऐसे में अगर सरकार इसमें विफल रहती है तो हाईकोर्ट आदेश जारी करेगा।
42 म्युनिसिपल काउंसिल का कार्यकाल हो चुका खत्म
इस मामले में मालेरकोटला निवासी बेअंत सिंह ने दायर जनहित याचिका में हाईकोर्ट को बताया कि पंजाब की 42 म्युनिसिपल काउंसिल का कार्यकाल कई महीनों पहले हो चुका खत्म, कई का तो कार्यकाल खत्म हुए दो साल से ज्यादा का समय हो चुका है, जिसके कारण यहां के सभी विकास कार्य रुके हैं।
याचिका के अनुसार राज्य की ज्यादातर म्युनिसिपल काउंसिल का कार्यकाल दिसंबर 2022 में खत्म चुका है, लेकिन अभी तक चुनाव नहीं कराए गए। कोर्ट को बताया गया कि 1 अगस्त, 2023 को स्थानीय निकाय विभाग ने म्युनिसिपल काउंसिल के चुनाव करवाने के लिए नोटिफिकेशन जारी की थी जो 1 नवंबर 2023 को आयोजित करने थे, लेकिन आज तक चुनाव नहीं करवाए गए।
5 जुलाई को कानूनी नोटिस भेजा था
याचिका के अनुसार उसने सरकार को यह चुनाव करवाने के लिए पांच जुलाई को एक कानूनी नोटिस भेजा था, लेकिन सरकार से उसे अभी तक कोई जवाब नहीं मिला इसलिए अब उसे मजबूरी में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सरकार को चुनाव करवाने के निर्देश देने की मांग की है।
निगम की अवधि खत्म होने से पहले कराने होते है चुनाव
बता दें कि संविधान के अनुसार म्युनिसिपल काउंसिल के चुनाव उसकी अवधि खत्म होने से पहले करने जरूरी होते है पर सरकार ने अभी तक इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया। एक अन्य याचिका में कोर्ट को यह भी बताया गया कि अमृतसर, लुधियाना, जालंधर, पटियाला और फगवाड़ा नगर निगम के चुनाव भी सरकार ने नहीं कराए हैं।
SC ने नहीं लगाई रोक तो चुनाव क्यों नहीं हो रहे
सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान पंजाब के एडवोकेट जनरल ने बताया कि नगर निगमों की वार्डबंदी मामले में हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सरकार की अपील सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। हाईकोर्ट ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पर रोक नहीं लगाई है तो सरकार चुनाव क्यों नहीं करवा रही है। पंजाब सरकार को हाईकोर्ट ने आखिरी मौका देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी।