Pages of history opened amid the smoke of Chhawa, what was Aurangzeb afraid of at the time of death, what were his last words : बॉलीवुड फिल्म छावा की धूम के बीच, लोग फिर से इतिहास की किताब के पन्नों को पलटकर औरंगजेब के बारे में जानने के लिए उत्सुक हैं। भारत में औरंगजेब को लेकर हमेशा ही विवाद और बहस रही है। उसकी क्रूरता और धार्मिक कट्टरता के कारण वह इतिहास में एक विवादास्पद शख्सियत के रूप में जिंदा है। फिल्म छावा, जो छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित है, ने दर्शकों के दिलों में एक नई उमंग जगा दी है। इसके बीच, हम बताते हैं कि औरंगजेब की मौत के वक्त क्या चल रहा था। उसके आखिरी शब्द क्या थे और किस प्रकार जिंदगी के आखिरी पल बिताए थे।
कैसे था औरंगजेब का अंतिम समय
औरंगजेब, मुगल साम्राज्य का छठा शासक था और अपने समय के सबसे लंबे वक्त तक राज करने वाला मुगल सम्राट था। वह अपने कट्टरपंथी और अत्याचारी शासन के लिए जाना जाता है। उसने हिंदुओं पर अत्याचार किए। जजिया कर फिर से लागू किया और दक्कन क्षेत्र में शरिया कानून को लागू किया। वहीं, अपने ही परिवार के लोगों के खिलाफ हिंसक कदम उठाए। उसने अपने पिता शाहजहां को कैद किया और भाई दारा शिकोह की हत्या करवाई।
आखिरी में औरंगजेब का पछतावा
औरंगजेब के शासनकाल में जब सब कुछ उसके कंट्रोल में था। वह अंतिम समय में खुद को पापी महसूस कर रहा था। अपने जीवन के आखिरी पलों में, वह केवल अपनी धार्मिकता और खुद के गुनाहों के बारे में ही सोच रहा था। एक रिपोर्ट के अनुसार, उसने कहा था, 'अल्लाह ने मुझे जितनी सांसें बख्शी थीं, उसका एक कतरा भी मैंने अदा नहीं किया. क्या मुंह दिखाऊंगा उन्हें?'
बेटे ने अंतिम समय कुछ नहीं किया
इसके बाद उसने बोलना बंद कर दिया, लेकिन उसके होंठ कुछ बड़बड़ा रहे थे। उसके बेटे आजम शाह ने जब उसके चेहरे को गौर से देखा तो वह हैरान रह गया। औरंगजेब की स्थिति इतनी दयनीय हो गई थी कि उसके बेटे ने उसकी अंतिम स्थिति में कुछ नहीं किया। जब औरंगजेब की हालत बिगड़ी, तो उसने अपने बेटे कामबख्श को बुलाया और कहा, 'मेरे मरने के बाद मेरे लोगों से बुरा सलूक होगा। जो मैंने लोगों के साथ किया, वही मेरे अपनों के साथ होगा।
आखिरी वक्त में औरंगजेब की चिंता
इसके बाद उसने अपने बेटे आजम शाह से कहा, 'बादशाह के तौर पर मैं नाकाम रहा। मेरा कीमती जीवन किसी काम नहीं आया। अल्लाह चारों ओर है, लेकिन मैं बदनसीब हूं कि जब उनसे मिलने की घड़ी आ रही है तब मैं उनकी मौजूदगी महसूस नहीं कर पा रहा। मैं पापी हूं. शायद मेरे गुनाह ऐसे नहीं, जिन्हें माफ किया जा सके। औरंगजेब की मौत का समय करीब आ चुका था। वह दिन के आखिरी समय में भी अपनी प्रार्थनाओं में सुकून ढूंढ रहा था।
महाराष्ट्र के औरंगाबाद में दफनाया
उसने सुबह की प्रार्थना की और फिर अपने बेटे आजम शाह से बातें करते-करते सो गया। कुछ समय बाद, उसकी आंखें खुल नहीं पाईं और उसके पास खड़े लोग सिर्फ उसका अंतिम समय देख रहे थे। औरंगजेब की आंखें बंद हो गईं और उसका प्राण निकल गया। औरंगजेब ने अपने आखिरी समय में, यह निर्देश दिया था कि उसे वहीं दफन किया जाए, जहां वह मरें। उसकी अंतिम इच्छा को मानते हुए, उसे आज के महाराष्ट्र के औरंगाबाद में दफनाया गया।
गुनाह आखिरी समय में बने परछाई
अपनी पूरी जिंदगी में उसने अपनों का खून बहाया और 50 साल तक राज किया, लेकिन उसके गुनाह उसके आखिरी समय में उसकी परछाई बन गए। बॉक्स ऑफिस पर छावा की सफलता के साथ ही, लोगों का ध्यान औरंगजेब के अत्याचारों की ओर फिर से खींचा गया है। विक्की कौशल ने फिल्म में छत्रपति संभाजी महाराज का रोल निभाया है और अक्षय खन्ना ने औरंगजेब का किरदार निभाया।