जालंधर: वन नेशन-वन इलेक्शन के प्रस्ताव को बुधवार (18 सितंबर) को कैबिनेट में मंजूरी मिल गई है। अब इस को लेकर जालंधर से भाजपा के पूर्व मंत्री व सीनियर नेता मनोरंजन कालिया ने कहा कि ये सराहनीय कदम है, जिससे समय और पैसा भी बचेगा। जिससे देश के हित में कार्य होगा। उन्होंने कहा कि 1951 से लेकर 1967 तक पहले लोकसभा और विधानसभा चुनाव इक्ठे ही होते थे। लेकिन उस समय गैर कांग्रेसी सरकार ने इसे चलने नहीं दिया।
2 फेज में होंगे चुनाव
कालिया ने कहा कि मोदी सरकार इसे दोबारा से लेकर आई है। कैबिनेट में ये प्रस्ताव पास किया गया है। उन्होंने कहा कि दो चरणों में ये चुनाव होंगे। पहले फेज में लोकसभा और विधानसभा चुनाव इकट्ठे करवाए जाएंगे। दूसरे चरण में स्थानीय निकाय चुनाव, पंचायती और नगर निगम चुनाव करवाए जाएंगे। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की कमेटी में मार्च में अपनी रिपोर्ट को सौंप दिया था।
आपको बता दें कि पिछले चुनावों में पूरा जोर दिया जा रहा था कि वन नेशन-वन इलेक्शन के तहत ही चुनाव करवाए जाए। बसपा और समाजवादी पार्टी ने इसको समर्थन दिया है। वहीं, अन्य व्यक्ति रजन ने कहा कि इससे देश का पैसा बचेगा। उन्होंने कहा कि इससे लोग एक बार में ही लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में वोटिंग कर सकता है।
अब एक साथ होंगे चुनाव
समिति ने आगे सिफारिश की है कि लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ संपन्न होने के 100 दिन के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव भी हो जाने चाहिए। इससे पूरे देश में एक निश्चित समयावधि में सभी स्तर के चुनाव संपन्न कराए जा सकेंगे। वर्तमान में, राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव अलग-अलग आयोजित किए जाते हैं।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय से वन नेशन वन इलेक्शन की वकालत करते आए हैं। पीएम मोदी ने कहा था, मैं सभी से एक राष्ट्र एक चुनाव के संकल्प को हासिल करने के लिए एक साथ आने का अनुरोध करता हूं, जो समय की मांग है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी कमेटी की रिपोर्ट के बाद इस प्रस्ताव को कैबिनेट में मंजूरी मिल गई है। शीतकालीन सत्र में एनडीए सरकार यह बिल संसद में लेकर आएगी।
15 राजनीतिक दल कर रहे विरोध, 32 का मिला समर्थन
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगवाई में बनी समिति ने 62 राजनीतिक पार्टियों से संपर्क किया था। इनमें से 32 ने एक देश, एक चुनाव का समर्थन किया था। जबकि, 15 पार्टियां इसके विरोध में थी। 15 ऐसी पार्टियां थीं, जिन्होंने कोई जवाब नहीं दिया था। कांग्रेस, TMC, आम आदमी पार्टी समेत अन्य पार्टियां इसके विरोध में है।
पहले कब-कब एक साथ चुनाव हुए?
आजादी के बाद देश में पहली बार 1951-52 में चुनाव हुए। तब लोकसभा के साथ ही सभी राज्यों की विधानसभा के चुनाव भी संपन्न हुए थे। इसके बाद 1957, 1962 और 1967 में भी एक साथ लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराए गए। 1968-69 के बाद यह सिलसिला टूट गया, क्योंकि कुछ विधानसभाएं अलग- अलग कारणों से भंग कर दी गई थीं।