पंजाब में आज से सरकारी बसों में सफर करना मुश्किल हो गया है क्योंकि बस चालक और कंडक्टर बसों में उतनी ही सवारियां बिठाएंगे जितनी सीटें होंगी। ऐसे में बचे हुए यात्रियों को दूसरी बस का इंतजार करना होगा। दरअसल, पंजाब रोडवेज और पीआरटीसी केंद्र सरकार के हिट एंड रन कानून का विरोध कर रहे हैं। हिट एंड रन कानून के कारण वे कोई जोखिम भी नहीं उठाना चाहते।
वहीं इससे पहले रोडवेज के कर्मचारी 100 से भी ज्यादा सवारियों को ले जाते थे लेकिन अब पीआरटीसी कांटेक्ट वर्कर यूनियन की ओर से अपनी मांगों को लेकर यह नया ऐलान किया गया है।
फरवरी में तीन दिन हड़ताल
इस विरोध प्रदर्शन में डिपो प्रधान सतनाम सिंह, शमशेर सिंह, गुरप्रीत सिंह, जगतार सिंह ने कहा कि वे पंजाब सरकार की कर्मचारियों के प्रति द्वेषपूर्ण नीतियों से तंग आ चुके हैं क्योंकि सरकार उनके बारे में नहीं सोच रही है। इसके साथ ही उन्होंने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर पंजाब के मुख्यमंत्री का घेराव कर विरोध प्रदर्शन करने का भी फैसला किया है।
साथ में उन्होंने यह चेतावनी दी है कि उनकी मांगे पूरी नहीं की गई तो वह फरवरी से मुख्यालय पर धरना देंगे और 7 फरवरी को कर्मचारियों को लामबंद करते हुए रैली की जाएगी और 13, 14 और 15 फरवरी को 3 दिन की हड़ताल की जाएगी।
आज से लागू हुआ फैसला
आज से बसों में 52 सीटों के अनुसार ही सवारियों को बिठाया जाएगा। यूनियन की ओर से 23 जनवरी से इस फैसले को लागू किया जाएगा। पंजाब में समय-समय पर सरकारें बदलीं, लेकिन किसी भी सरकार ने परिवहन विभाग के कर्मचारियों की मांगों का समाधान नहीं किया।
साढ़े तीन करोड़ में पड़ती है स्कीम
वहीं पंजाब में महिलाओं की मुफ्त यात्रा से सरकार को भारी नुकसान हो रहा है। सरकार को मुफ्त बस योजना के पैसे पी.आर.टी.सी. व पंजाब रोडवेज को अदा करने पड़ रहे हैं। सरकार मुफ्त बस सेवा के बदले सरकारी ट्रांसपोर्ट कंपनियों को सालाना करीब 350 करोड़ रुपये का भुगतान करती है और वर्तमान में ट्रांसपोर्ट कंपनियों का सरकार पर करोड़ों रुपये बकाया है।