ख़बरिस्तान नेटवर्क : जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई भारत के 52वें चीफ जस्टिस बन चुके हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। 30 अप्रैल को भारत चीफ जस्टिस रहे सीजेआई खन्ना ने उनके नाम की सिफारिश केंद्र के आगे की थी। चीफ जस्टिस गवई का कार्यकाल सिर्फ 6 महीने का ही होगा और वह 23 दिसंबर को रिटायर हो जाएंगे।
नोटबंदी जैसे फैसलों में शामिल थे
जस्टिस गवई साल 2016 में नोटबंदी पर लिए गए फैसलों का हिस्सा रहे थे। जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार को करेंसी को अवैध घोषित करने का अधिकार है। वहीं वह बुल्डोजर की तरफ से हो रही कार्रवाई के खिलाफ आदेश, और इलेक्टोरल बॉन्ड पर फैसला देने वाले जजों के पैनल में शामिल थे।
भारत के दूसरे दलित चीफ जस्टिस
जस्टिस गवई भारत के दूसरे दलित चीफ जस्टिस हैं। उनसे पहले केजी बालाकृष्णन भारत के चीफ जस्टिस बन चुके हैं। वह साल 2007 में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे।
1985 से शुरू किया अपना करियर
चीफ जस्टिस गवई का 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ। 1985 में उन्होंने कानूनी करियर अपनाया और दो साल बाद ही बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र तौर पर प्रैक्टिस शुरू कर दी। 1987 से 1990 तक बॉम्बे हाईकोर्ट में वकालत की। अगस्त 1992-से जुलाई 1993 तक बाम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में सहायक सरकारी वकील और एडिशनल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर के रूप में बने।
14 नवंबर 2003 को बॉम्बे हाईकोर्ट के एडिशनल जज के रूप में प्रमोट हुए। 12 नवंबर 2005 को बॉम्बे हाईकोर्ट के परमानेंट जज बने। 24 मई 2019 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया। चीफ जस्टिस गवई सुप्रीम कोर्ट में कई ऐसी संविधान पीठों में शामिल रहे, जिनके फैसलों का महत्वपूर्ण प्रभाव रहा। दिसंबर 2023 में, उन्होंने पांच जजों की संविधान पीठ में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को सर्वसम्मति से बरकरार रखा।