जालंधर में नगर निगम की वोटिंग को लेकर सिर्फ 48 घंटे से भी कम समय रह गया है। सभी पार्टियां चुनाव प्रचार में पूरा जोर लगाने में जुटी हुई हैं। आम आदमी पार्टी से लेकर अकाली दल तक सभी पार्टियों के उम्मीदवार डोर-टू-डोर प्रचार करने में व्यस्त हैं। इस बार नगर निगम चुनाव में वोटिंग और भी दिलचस्प होगी। क्योंकि पहली बार जालंधर में राज्य की 4 बड़ी पार्टियां चुनावी मैदान में हैं। इनमें आप पहली बार नगर निगम चुनाव लड़ रही है तो वहीं भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने के बाद अकाली दल भी अकेले ही मैदान में उतरी है।
दिल्ली, चंडीगढ़ जीतने के बाद पंजाब पर नज़र
आम आदमी पार्टी के अगर नगर निगम चुनावों की बात करें तो पार्टी का प्रदर्शन काफी बढ़िया रहा है। पहले दिल्ली में और उसके बाद चंडीगढ़ में आप अपना मेयर बनाने में कामयाब हुई है। हालांकि पहली बार चुनाव लड़ रही आप के सामने कुछ चुनौतियां होंगी। पर जिस तरह से उनका प्रदर्शन रहा है इससे काफी उम्मीदें हैं कि पार्टी नगर निगम चुनावों में भी बढ़िया प्रदर्शन करेगी और लोगों को भरोसा जीतने में कामयाब होगी। आप जालंधर की 85 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और सभी सीटों पर जीत दर्ज करने का दावा कर रही है।
अकाली दल सिर्फ 29 सीटों लड़ रही है चुनाव
पंजाब में अकाली और भाजपा गठबंधन था तो दोनों पार्टियों से अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद रहती थी। जहां अकाली दल पंजाब के गांवों पर अपना होल्ड रखती थी तो वहीं भाजपा शहरों में अपनी पकड़ मजबूत रखती अथी। पर गठबंधन टूटने के बाद अकाली दल 1997 के बाद पहली बार अकेले नगर निगम चुनाव लड़ रही है। जिसका उसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है, क्योंकि अकाली दल शहर में उतनी मजबूत नहीं है जितना कि वह गांवों में है। दूसरा कारण यह है कि पार्टी को जालंधर में उम्मीदवार ढूंढने में काफी परेशान होना पड़ा। जालंधर में अकाली दल सिर्फ 29 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है।
भाजपा की हालत भी खराब
कभी अकाली दल के साथ सरकार और जालंधर में मेयर बनाने वाली भाजपा इस चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करना चाहेगी। जालंधर में भाजपा न तो लोकसभा चुनाव जीत पाई और न ही विधानसभा उपचुनाव में कामयाबी हासिल कर पाई। वहीं निगम चुनाव से ठीक पहले विनीत धीर, सौरभ सेठ, कुलजीत हैप्पी, गुरमीत चौहान और अमित लूथरा जैसा नेता पार्टी छोड़कर आप में चले गए। भाजपा में इस समय कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है, क्योंकि पार्टी ने 12 नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण बाहर का रास्ता भी दिखाया है। जिसके बाद हतिंदर हनी ने जिला प्रधान सुशील शर्मा पर कई गंभीर आरोप भी लगाए। जिससे पार्टी को काफी नुकसान पहुंचा है और इसका असर नतीजों में देखने को मिल सकता है
नेताओं के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस पर भी दबाव
कांग्रेस अपने पुराने प्रदर्शन को दोबारा दोहराना चाहेगी। हालांकि इस बार समीकरण काफी ज्यादा बदल चुके हैं। पार्टी के कई प्रमुख चेहरे आप में शामिल हो चुके हैं। पूर्व मेयर जगदीश राजा, अरुणा अरोड़ा कांग्रेस छोड़ आप का दामना थाम चुकी हैं। दोनों के जाने से पार्टी कमजोर हुई है। वहीं भाजपा की तरह कांग्रेस ने भी 3 नेताओं पर गाज गिराते हुए पार्टी से बाहर किया है। पर कांग्रेसी नेताओं को कहना है कि लोकसभा चुनाव में जिस तरह से लोगों ने समर्थन दिया था, नगर निगम चुनाव में भी समर्थन मिलेगा। पार्टी मजबूती के साथ नगर निगम चुनाव लड़ रही है। कई वार्डों में बागी कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकते हैं।
बसपा और आजाद उम्मीदवार काटेंगे वोट
वहीं बहुजन समाज पार्टी जालंधर निगम चुनाव में 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। बसपा और आजाद उम्मीदवार बड़ी पार्टियों के वोट काटेंगे और कई सीटों पर वह कड़ी टक्कर भी दे रहे हैं। वहीं दूसरी पार्टी के बागी नेताओं का भी फायदा मिल सकता है। आजाद उम्मीदवार के तौर पर कई ऐसे चेहरे हैं जो जीतने का माद्दा रखते हैं और यह चुनाव को और रोमांचक बना देंगे।