जालंधर नगर निगम चुनाव को लेकर मुकाबला त्रिकोणीय हो चुका है। शहर में आप, कांग्रेस और भाजपा ने सभी वार्डों से अपने उम्मीदवार उतारे हैं। हालांकि भाजपा के एक उम्मीदवार नामांकन देरी से भरने पहुंचे, जिस कारण उनका नामांकन नहीं हो पाया और भाजपा 84 उम्मीदवारों के साथ मैदान में है। जबकि पंजाब की सबसे पुरानी पार्टी अकाली दल 1997 के बाद पहली बार अकेले नगर निगम चुनाव लड़ रही है। पार्टी सिर्फ 29 वार्डों से ही चुनाव लड़ रही है।
आप पर सबकी नजर
आम आदमी पार्टी ने 85 वार्डों से उम्मीदवार उतारे हैं। पार्टी ने कई नए और युवा चेहरों को मौका दिया है। आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस और बीजेपी से आए नेताओं का अनुभव भी जुड़ गया है। जैसा कि हर बार आप चुनाव नतीजों से लोगों को चौंकाती है। चाहे वह 2022 के विधानसभा चुनाव हो या फिर उपचुनाव। इस बार भी जालंधर में आप नतीजों में सब को चौंकाएगी। वैसे भी जालंधर नगर निगम का इतिहास रहा है कि यहां ज्यादातर सत्ताधारी पार्टी का ही मेयर बना है। पिछले दो नगर निगम के चुनाव में सत्ताधारी पार्टी का मेयर रहा है।
भाजपा को बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद
कभी अकाली दल के साथ सरकार और जालंधर में मेयर बनाने वाली भाजपा इस चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करना चाहेगी। जालंधर में भाजपा न तो लोकसभा चुनाव जीत पाई और न ही विधानसभा उपचुनाव में कामयाबी हासिल कर पाई। पर नगर निगम चुनाव में भाजपा पूरे जोरों के साथ उतरी है। हालांकि विनीत धीर, सौरभ सेठ, कुलजीत हैप्पी, गुरमीत चौहान और अमित लूथरा के आप में जाने से पार्टी को काफी नुकसान पहुंचा है। क्योंकि ये सभी नेता अपने वार्डों में जीत दिलाने का माद्दा रखते थे।
कांग्रेस प्रदर्शन दोहराना चाहेगी
कांग्रेस अपने पुराने प्रदर्शन को दोबारा दोहराना चाहेगी। हालांकि इस बार समीकरण काफी ज्यादा बदल चुके हैं। पार्टी के कई प्रमुख चेहरे आप में शामिल हो चुके हैं। पूर्व मेयर जगदीश राजा, अरुणा अरोड़ा कांग्रेस छोड़ आप का दामना थाम चुकी हैं। दोनों के जाने से पार्टी कमजोर हुई है। पर कांग्रेसी नेताओं को कहना है कि लोकसभा चुनाव में जिस तरह से लोगों ने समर्थन दिया था, नगर निगम चुनाव में भी समर्थन मिलेगा। पार्टी मजबूती के साथ नगर निगम चुनाव लड़ रही है। कई वार्डों में टिकट बंटवारे को लेकर अंसतोष है। इन वार्डों में बागी कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकते हैं।
अकाली दल को नहीं मिले उम्मीदवार
जालंधर में अकाली दल की हालत बेहद खराब है। पार्टी को यहां उम्मीदवार ढूंढ नहीं मिले। जबकि लुधियाना में पार्टी ने 95 सीटों में से 94 उम्मीदवार उतारे हैं और वहां पर अकाली दल की स्थिति मजबूत दिख रही है। जालंधर से अकाली दल के वरिष्ठ नेता इकबाल ढींडसा की पत्नी आजाद मैदान में हैं। वह तकड़ी पर चुनाव नहीं लड़ रही हैं। अकाली दल के सभी सीटों पर चुनाव न लड़ने के कारण दूसरी पार्टियों को इसका फायदा होगा