Technology Developed Mars Nanomaterial : स्पेस एजेंसी और कई वैज्ञानिक मंगल ग्रह पर बस्ती बसाने के लिये बहुत गंभीर हैं. भले ही कुछ लोग उनके इस सपने को पागलपन मानते हों, मगर वहां पर बस्ती बसाने के लिए निर्माण कार्य होना एक बड़ी पहेली है. अब यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स के शोधकर्ताओं ने नासा के बेकार पदार्थों से ऐसे खास “मंगल के नैनोमटेरियल” बनाने की तकनीक विकसित की है, जिसका उपयोग वहां निर्माण कार्यों में हो सकता है। डॉ कोनोर बोलांद की अगुआई में हुए शोध कार्य में वैज्ञानिकों ने इन पदार्थों को केवल निर्माण कार्य ही नहीं बल्कि स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन के लिए भी उपयोगी पाया है।
एक नहीं बहुत सारे उपयोग
इस प्रक्रिया में नासा के पानी निकालने की प्रक्रिया से बने उप उत्पाद, मंगल के जिप्सम को एनहाइड्राइट का उपयोग कर नैनोबेल्ट में बदला जा सकेगा। इन नैनोबेल्ट में ऐसी विद्युतीय गुण होते हैं जो मंगल पर बहुत उपयोगी साबित हो सकते हैं। इतना ही नहीं इन नौनो पदार्थों के स्वच्छ हाइड्रोजन ऊर्जा से लेकर मजबूत कपड़ा, ट्रांजिस्टर जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, जैसे कई उपयोग की संभावना है।
पानी का दोबारा से उपयोग
यह खोज ना केवल पर्यावरण के अनुकूल है, इसकी प्रक्रिया में उपयोग में लाए गए पानी को लागतार जमा किया जा सकेगा और उसे फिर से उपयोग में भी लाया जा सकता है। कुल मिलाकर यह मंगल पर संधारणीय कॉलोनी बनाने में मददगार हो सकती है। ऐसा नहीं कि इस तकनीक से मंगल पर इलेक्ट्रॉनिक उत्पादन की सभी समस्याओं का हल हो जाएगा।
तकनीक पर शोधकर्ता आशावादी
मंगल पर इलेक्ट्रॉनिक उत्पादन के लिए साफ कमरे चाहिए होते हैं, जहां महीन धूल के कण तक ना आ सकें फिर भी तकनीक को लेकर शोधकर्ता बहुत आशावादी हैं क्योंकि इसमें मंगल की प्राकृतिक मिट्टी के उपयोग पर जोर दिया गया है। यह मंगल ग्रह पर बस्ती बसाने की दिशा में चल रहे शोधकार्यों को नई दिशा और गति प्रदान करने वाला प्रयास साबित हो सकता है।