सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी को इनकम टैक्स ने नोटिस जारी किया है। ये नोटिस अवैध निर्माणों की रोकथाम के लिए भेजा गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इनकम टैक्स के अधिकारियों का कहना है कि सील हो चुकी बिल्डिंगों को डीसील करने के लिए कमेटी ने करोड़ों रुपए प्रोसेसिंग फीस वसूल की और उसे बैंक खाते में जमा करा दिया।
वहीं, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का कहना है कि कमेटी इस पर टैक्स जमा कराए। इनकम टैक्स के नोटिस के जवाब में कमेटी के सदस्यों ने कहा कि उनके पास सिर्फ 48,000 रुपए ही बचे हैं। बाकी पैसे सुप्रीम कोर्ट में पास जमा करा दिए थे।
जानें क्या है मामला
साल 2017-18 से अब तक मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्यों के आदेश पर जिन बिल्डिंगों को सील किया गया है, उनके मालिकों को कमेटी ने अपनी बात रखने या अस्थायी डीसीलिंग के लिए एक प्रक्रिया बनाई थी। उस प्रक्रिया के तहत स्थायी या अस्थायी डीसीलिंग के लिए प्रॉपर्टी ओनर्स एक लाख रुपये प्रोसेसिंग फीस जमा कराके आवेदन कर सकते थे।
प्रोसेसिंग फीस के रूप में 13.38 करोड़ रुपये मिले
प्रोसेसिंग फीस 1 लाख रुपये तय करने का उद्देश्य यह था कि अनावश्यक कोई डीसीलिंग के लिए आवेदन न करे। जिनका केस उचित है, वहीं आवेदन करें। कमेटी में सुनवाई के लिए 1338 लोगों ने आवेदन किए। जिससे कमेटी को प्रोसेसिंग फीस के रूप में 13.38 करोड़ रुपये मिले।
जुडिशल कमेटी के 897 केस थे, जिससे प्रोसेसिंग फीस के रूप में कमेटी को 8.97 करोड़ रुपये मिले। कुल मिलाकर कमेटी को 23 करोड़ 10 लाख 48 हजार 863 रुपये प्रोसेसिंग फीस के रूप में मिले, जिसमें 72 लाख 48 हजार 863 रुपये का ब्याज शामिल था। इसी पैसे को लेकर इनकम टैक्स ने कमेटी के सदस्यों को नोटिस जारी किया है और टैक्स भुगतान करने को कहा है।