जालंधर में 17 सितंबर को प्रसिद्ध बाबा सोढल का मेला है। इसके मद्देनजर सरकारी छुट्टी का ऐलान किया गया है। इस दिन शहर में सरकारी दफ्तर, स्कूल, कॉलेज और अन्य सरकारी संस्थान बंद रहेंगे।
बता दें कि बाबा सोढल मेले में देश-विदेश से लाखों की तदाद में श्रद्धालु पहुंचते हैं और बाबा जी के आगे नतमस्तक होते हैं। मेला लगातार 3 दिन तक मनाया जाता है। मेले के पहले दिन लोगों की भीड़ देखने को मिल जाती है।
लोग दूर-दूर से बाबा जी के दर्शन करने आते हैं। बाबा सोढल मेले के चेलते जिला प्रशासन, नगर निगम, पुलिस, ट्रैफिक विभाग व सेहत विभाग आदि सतर्क रहेंगे।
दुकानदारों को दिए ये निर्देश
- मेले दौरान किसी भी प्रकार का प्लास्टिक कैरी बैग उपयोग में न लाया जाए।
- लंगर इत्यादि के लिए किसी प्रकार की प्लास्टिक और थर्मोकोल कटलरी का इस्तेमाल न हो।
- प्लास्टिक फिल्म लगी पेपर प्लेट व अन्य कटलरी का इस्तेमाल न किया जाए।
- मिठाई के डिब्बों इत्यादि पर प्लास्टिक के रैपर नहीं होने चाहिए।
- पानी के लिए प्लास्टिक की बोतलों, कप इत्यादि का इस्तेमाल न हो
- प्लास्टिक के बने फ्लेक्स, बैनर इत्यादि न लगाए जाएं।
- बुके इत्यादि प्लास्टिक और प्रतिबंधित कपड़े इत्यादि से कवर न हों
इन चीजों का करे इस्तेमाल
- लंगर इत्यादि के लिए स्टील के बर्तन उपयोग में लाए जाएं
- लंगरों पर पत्तल और डूने इत्यादि से बनी क्राकरी का इस्तेमाल हो
- कपड़े के थैले, जूट बैग और पेपर बैग का इस्तेमाल किया जाए
- छबील इत्यादि के लिए स्टील ग्लास इस्तेमाल हो
- मेले के दौरान गीले व सूखे कूड़े को अलग-अलग रखने का प्रावधान किया जाए।
जानें क्या है परंपरा ?
जालंधर शहर में भादों के महीने में शुक्ल पक्ष के 14वें दिन हर साल बाबा सोढल मेला आयोजित किया जाता है। पंजाब के मेलों की सूची में इनका प्रमुख स्थान है। मेला बाबा सोढल की महान आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए आयोजित किया जाता है। देशभर से लाखों श्रद्धालु इस मेले में सोढल बाबा के दर्शन करने आते हैं। सोढल मंदिर में प्रसिद्ध ऐतिहासिक सोढल सरोवर है जहां सोढल बाबा की विशाल प्रतिमा स्थापित की गई है।
श्रद्धालु इस पवित्र सरोवर के जल से अपने ऊपर छिड़काव करते हैं और चरणामृत की तरह पीते हैं। इस दिन देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा सोढल के दर्शन करने आते हैं। मेले से 2-3 दिन पहले शुरू होने वाली भक्तों की भीड़ मेले के बाद भी 2-3 दिन तक लगातार बरकरार रहती है।
परंपरा अनुसार कैसे होता है पूजन
बाबा सोढल का जन्म जालंधर शहर में चड्ढा परिवार में हुआ था। सोढल बाबा के साथ कई कहानियां जुड़ी हुई हैं। कहते हैं कि जब सोढल बाबा बहुत छोटे थे, वह अपनी माता के साथ एक तालाब पर गए। माता कपड़े धोने में व्यस्त थीं और बाबा जी पास ही में खेल रहे थे। तालाब के नजदीक आने को लेकर माता ने बाबा को कई बार टोका और नाराज भी हुईं।
बाबा जी के न मानने पर माता ने गुस्से में उन्हें कोसा और कहा जा गर्क जा। इस गुस्से के पीछे माता का प्यार छिपा था। बाबा सोढल ने माता के कहे अनुसार तालाब में छलांग लगा दी। माता के अपने पुत्र की ओर से तालाब में छलांग लगाने पर विलाप शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद बाबा जी पवित्र नाग देवता के रूप में प्रकट हुए।