उत्तर प्रदेश के झांसी से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई , जबकि करीब 47 नवजात शिशुओं को बचा लिया गया है। घटना रात करीब साढ़े 10 बजे की है। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में स्पार्किंग के कारण पहले आग लगी, फिर धमाका हो गया। इसके बाद पूरे वार्ड में आग फैल गई। सूचना पर फायर ब्रिगेड की 6 गाड़ियां पहुंचीं और आग पर काबू पाया।
अस्पताल में मच गई थी भगदड़
आग लगने के बाद अस्पताल में भगदड़ मच गई। आग लगने के बाद खिड़की तोड़कर मरीजों और यहां पर भर्ती कई बच्चों को निकाला गया है। झांसी के कमिश्नर ने बताया कि शॉर्ट सर्किट से आग लगी है, जिसमें 10 बच्चों की मौत हुई है। फिलहाल मामले की जांच जारी है।
मृतक बच्चों के परिजन को 5-5 लाख रुपए के मुआवजे का ऐलान
इस घटना की जानकारी जैसे ही सीएम योगी आदित्यनाथ को हुई तो उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट कर बताया कि जिला प्रशासन और संबंधित अधिकारियों को बचाव कार्य चलाने के निर्देश दिए गए हैं। हम प्रभु श्री राम से प्रार्थना करते हैं कि वे दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करें और घायलों को शीघ्र स्वस्थ करें। साथ ही योगी ने मृतकों के परिजन को 5-5 लाख रुपए देने का ऐलान किया है। घायलों के परिजन को 50-50 हजार रुपए दिए जाएंगे।
कैसे लगी आग?
आग का कारण इलेक्ट्रिक शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है। आग लगने से वहां पड़े सिलेंडर भी फट गए और बड़ा हादसा हो गया। वहीं अगर अस्पताल में यह दो चीजें होतीं, तो 10 मासूम जिंदगियां बच सकती थीं।
सुरक्षा उपकरण
रिपोर्ट्स के मुताबिक, आग लगने और सिलेंडर फटने की जानकारी स्टाफ को नहीं पता लग पाई, क्योंकि अस्पताल के अलार्म खराब पड़े थे। अलार्म बजते तो स्टाफ बच्चों को लेकर बाहर आ सकता था। धुंआ निकलते हुए देखने के बाद शोर मचा, तब तक स्थिति काबू से बाहर हो चुई थी। अस्पताल में आग बुझाने के उपकरण भी खराब पड़े थे, वे भी काम नहीं आए।अस्पताल के अंदर अच्छे और काम करने वाले सुरक्षा उपकरण होते तो बच्चों की जान बचाई जा सकती थी।
दूसरा एग्जिट गेट
रिपोर्ट्स में बताया गया है कि झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के चिल्ड्रन वार्ड में एक ही एग्जिट गेट था। इससे फायर कर्मी एक-एक करके अंदर गए, एक बार में 2-3 बच्चों को ही बाहर ला पाए। यदि वार्ड में दूसरा एग्जिट गेट होता तो फायर कर्मी अधिक संख्या में अंदर जा सकते थे, ज्यादा बच्चों की जान बच सकती थी।